नेपोवा के बैनर तले फ्लैट खरीदारों का प्रदर्शन जारी
नेपोवा के बैनर तले फ्लैट खरीदारों का प्रदर्शन जारी
अमर सैनी
नोएडा। नेफोवा लगातार नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा के फ्लैट ऑनर्स की समस्याओं को लगातार उठाता रहा है। सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट, सार्वजनिक स्कूल, कॉलेज, चिकित्सालय, फ्लैट बायर्स के फलैटों की रजिस्ट्री जैसे मुद्दों को लगातार उठाया जाता रहा है। नेफोवा का मानना है कि कोई भी सरकार रही है, फ्लैट बायर्स की समस्याओं पर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया। संगठन की ओर से रजिस्ट्री नहीं तो मतदान नहीं जैसी मुहिम भी शुरू की गई है। वहीं, राजनीतिक दलों ने फलैट बायर्स का एक वोट बैंक के तौर पर ही प्रयोग किया है। ऐसे में नेफोवा संगठन की ओर से चुनाव में अपना प्रतिनिधि उतारकर राजनीतिक दलों, केन्द्र और प्रदेश सरकार को एक संदेश देने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों के अनुसार एसडीएम ने सोसाइटियों में मतदान के बहिष्कार के लगे पोस्टर को हटवा दिया है।
बता दें कि ग्रेटर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में डेढ़ लाख से अधिक वोटर हैं। लेकिन कई सालों से इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इनके मुद्दे आज तक जैसे के तैसे है। Now Noida से खास बातचीत में सांसद डॉ. महेश शर्मा ने ग्रेनो वेस्ट की समस्याओं को लेकर सवाल के जवाब में पिछले सरकारों की गलती बताई थी। जबकि महेश शर्मा दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। वहीं, सपा प्रत्याशी महेंद्र नागर और बसपा प्रत्याशी राजेंद्र सोलंकी ने जीतने पर ग्रेनो वेस्ट की समस्याओं को प्रमुखता से हल कराने की बात कह रहे हैं। सूत्रों की मानें तो ग्रेटर नोएडा वेस्ट के मतदाता भाजपा समर्थक हैं और पिछले दो चुनाव में भाजपा उम्मीदवार को विजयी बना रहे हैं।
भाजपा की राह हो सकती है मुश्किल
उल्लेखनीय है कि नेफोवा का नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की हाईराइज सोसायटियों में खासा प्रभाव है। इस संगठन से जुड़े लोग भाजपा का वोट बैंक भी माने जाते हैं। अभी तक के चुनाव परिणाम बताते हैं कि नोफेवा से जुड़े लोग विरोध तो करते हैं लेकिन भाजपा के ही पक्ष में वोट करते हैं। अगर इस बार नोफेवा अपना उम्मीदवार उतारती है तो भाजपा की राह मुश्किल हो सकती है।
विधानसभा चुनाव में एक एसोसिएशन ने भी उतारा था उम्मीदवार
बता दें कि विधानसभा चुनाव 2022 में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सक्रिये एक अन्य बायर्स एसोसिएशन की ओर से अन्नु खान को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन अन्नू खान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था। अब सवाल उठता है कि नोफेवा अगर प्रत्याशी लोकसबा चुनाव में उतारता है तो इसका क्या असर होगा।