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नई दिल्ली: शांति के लिए साझेदारी, कल के लिए तैयारी : डस्टलिक -6

नई दिल्ली: -अभ्यास के दौरान भारतीय मूल के हथियारों और उपकरणों का किया गया इस्तेमाल

नई दिल्ली, 25 अप्रैल : भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त अभ्यास डस्टलिक-6 सोमवार को औंध, पुणे में समाप्त हो गया। करीब दो सप्ताह तक चले अभ्यास का उद्देश्य अर्ध-शहरी वातावरण में संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने में अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाना और कौशल को निखारना था।

दोनों देशों की टुकड़ियों ने भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के विदेशी प्रशिक्षण और सैन्य नागरिक संलयन प्रशिक्षण नोड में अभ्यास के आदर्श वाक्य ‘शांति के लिए साझेदारी, कल के लिए तैयारी’ के तहत सक्रिय भागीदारी की। इसमें सामरिक अभ्यास, नकली परिदृश्य और ज्ञान-साझाकरण सत्रों की एक श्रृंखला शामिल थी जिसका फोकस आतंकवादी खतरों को बेअसर करने, बंधक स्थितियों को संभालने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का पालन करते हुए शहरी युद्ध के लिए प्रभावी रणनीतियों को लागू करने पर था।

संयुक्त प्रशिक्षण सत्र में आतंकवाद विरोधी विभिन्न पहलुओं पर टोही, खुफिया जानकारी जुटाना, घेराबंदी और तलाशी अभियान और नजदीकी लड़ाई संबंधी अभ्यास किए गए। अभ्यास के समापन चरण में ब्रिगेडियर शैलेंद्र शर्मा ने कहा, सेनाओं के बीच संयुक्त अभ्यास दुनिया भर के देशों के बीच सैन्य कूटनीति का एक पहलू है। यह सेनाओं के बीच संबंधों के विकास में एक महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है। साथ ही यह विश्वास और भरोसा भी बढ़ाता है जो अंततः आतंकवाद से लड़ने के लिए संयुक्त सैन्य अभियानों के दौरान उपयोगी साबित हो सकता है।

अभ्यास के दौरान इस्तेमाल किए गए हथियार और उपकरण भारतीय मूल के थे जिसके जरिये रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने वाली स्वदेशी क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया। मुख्य अतिथि ने प्रतिभागियों और पर्यवेक्षकों को अपने समापन भाषण में अभ्यास के आदर्श वाक्य ‘शांति के लिए साझेदारी, कल के लिए तैयारी’ पर भी जोर दिया।

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