
नई दिल्ली, 24 जुलाई : केंद्र सरकार ने देश में फैमिली फिजिशियन के तौर पर प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों की संख्या में इजाफा करने की योजना बनाई है। इसके लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल एक्ट में बदलाव किया जाएगा और मेडिकल कॉलेजों में फैमिली मेडिसिन में एमडी का कोर्स शुरू किया जाएगा। ताकि नवजात शिशु से लेकर युवाओं, वयस्कों, महिलाओं और बुजुर्गों को एक ही क्लिनिक में एक ही डॉक्टर से इलाज मिल सके।
इस आशय की जानकारी नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद कुमार पॉल ने वीरवार को लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह में दी। उन्होंने बताया, विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि किसी देश की आबादी को उच्च प्रशिक्षित मेडिकल पेशेवर सेवाएं प्रदान करने के लिए वहां के कुल डॉक्टरों में से 30% डॉक्टर फैमिली मेडिसिन के विशेषज्ञ होने चाहिए। इससे जहां स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के बहुमूल्य समय की बचत होगी। वहीं, विशिष्ट रोग से पीड़ित मरीजों को विशेषज्ञ सेवाएं आसानी से और जल्दी मिल सकेंगी। उन्होंने कहा, अक्सर विशेषज्ञ डॉकटरों का काफी समय सामान्य रोगों के उपचार में व्यर्थ हो जाता है
डॉ. पॉल ने एंटीबायोटिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग पर व्यापक एंटीबायोटिक नीति और दिशानिर्देश जारी करने के लिए संस्थान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। मैं आग्रह करता हूं कि सभी चिकित्सा संस्थानों में रोगाणुरोधी प्रबंधन को अपनाया जाए और एलएचएमसी को इस प्रयास में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। वहीं, डीजीएचएस डॉ सुनीता शर्मा ने नवोदित डॉक्टरों से चरित्र, दृढ़ विश्वास, प्रतिबद्धता, साहस और शिष्टाचार के साथ आगे बढ़ने और राष्ट्र की सेवा करने का आग्रह किया।