नई दिल्ली, 29 दिसम्बर : एम्स दिल्ली के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की सुविधाओं में विस्तार के लिए प्रस्तावित योजना सिरे चढ़नी शुरू हो गई है।
इस योजना के तहत नए राजकुमारी अमृत कौर बाह्य रोगी विभाग (न्यू आरएके ओपीडी) की इमारत की एक मंजिल गैस्ट्रो विभाग को आवंटित की गई है जिसे एंडोस्कोपी की अत्याधुनिक मशीनों और अन्य सुविधाओं से सुसज्जित किया जा रहा है। दरअसल, एम्स दिल्ली में गैस्ट्रो विभाग के मौजूदा संसाधनों के मुकाबले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जिसके चलते कई मरीजों को एंडोस्कोपी जांच जैसी सुविधा मिलने में देरी हो रही है।
इसके अलावा गैस्ट्रो विभाग के सामने कई चुनौतियां भी हैं, जिनमें फैकल्टी स्टाफ (प्रोफेसर स्तर के डॉक्टर) की कमी, पुरानी एंडोस्कोपी लैब का पूरी क्षमता के साथ शुरू न हो पाना और नए एंडोस्कोपी लैब की स्थापना में देरी होना शामिल हैं। बता दें कि करीब दो साल पहले पुरानी लैब में आग लगने के बाद इसे अस्थायी तौर पर एम्स के ओल्ड आरएके ओपीडी की पांचवीं मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया था लेकिन मरम्मत का काम पूरा नहीं होने के चलते इसकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
क्यों जरूरी है एंडो लैब?
एम्स दिल्ली के गैस्ट्रो ओपीडी में रोजाना करीब 500 मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनमें से करीब 200 मरीजों को एंडोस्कोपी जांच कराने की जरूरत होती है लेकिन 150 लोगों की ही जांच हो पाती है। इमरजेंसी विभाग में भी रोजाना 40 -50 मरीज लिवर सिरोसिस या लिवर फेल होने और पेट में ब्लीडिंग होने की समस्या के चलते पहुंचते हैं। इन सभी मरीजों के उचित इलाज के लिए एंडोस्कोपी जांच जरूरी होती है।
उधर, एम्स की प्रवक्ता डॉ रीमा दादा ने बताया कि एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने गैस्ट्रो विभाग की क्षमता में विस्तार करने के लिए विभागाध्यक्ष को निर्देश दिया है। साथ ही फंड भी जारी कर दिया है। इसके माध्यम से न्यू आरएके ओपीडी में 12 लैब विकसित की जा रही हैं। लैब के लिए एंडोस्कोपी मशीनों की खरीद प्रक्रिया जारी है और जो मशीने नहीं मिल पा रही हैं, उन्हें बाहर से खरीदने के लिए सरकार से मंजूरी भी ले ली है।
डॉ दादा ने कहा, अगले तीन – चार महीनों में एम्स में एंडो जांच की क्षमता दो गुना तक बढ़ जाएगी। साथ ही उन जांच या प्रोसीजर की प्रक्रिया भी बेहद आसान हो जाएगी जिसके लिए दो से तीन लाख रुपए तक का खर्च आता है। यह सुविधा एम्स में बिल्कुल मुफ्त मिलेगी। इसके अलावा गैस्ट्रो के 36 बेड वाले वार्ड की क्षमता को भी दोगुना (72 बेड) किया जा रहा है।
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