नई दिल्ली, 01 जनवरी : अंग दान सृष्टि का सबसे बड़ा उपहार है जिसे प्रेम और आशा की एक शाश्वत विरासत के तौर पर कोई भी व्यक्ति दे सकता है। यह बातें दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया ने अपने जन्मदिन (एक जनवरी) के अवसर पर अंग दान करने का संकल्प लेने के बाद एम्स दिल्ली में कहीं।
इससे पहले वह बुधवार को अपने बड़े भाई डॉ. ईश कठपालिया के साथ एम्स दिल्ली स्थित अंग पुनर्प्राप्ति बैंकिंग संगठन (ओआरबीओ) के कार्यालय पहुंचे और स्वैच्छिक अंगदान के बाबत अपना पंजीकरण कराया। इस अवसर पर न्यायमूर्ति कठपालिया ने कहा, मैं सभी को इस मिशन में शामिल होने और जरूरतमंद लोगों के लिए जीवन और मृत्यु के बीच की खाई को पाटने के कार्य में मदद के लिए अपील करता हूं। उन्होंने बहुमूल्य मानव अंगों के पुन: उपयोग के महत्व पर जोर दिया जिससे कई लोगों को जीवन मिल सकता है।
कार्यक्रम में मौजूद ओआरबीओ के अधिकारियों ने कहा, एम्स में शव के अंग और ऊतक दान करने के लिए नोडल एजेंसी ओआरबीओ है जो न सिर्फ अंगदान जागरूकता में पहल का नेतृत्व करता है। बल्कि अंग दान और प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को सुविधाजनक भी बनाता है। वहीं, डॉ रीमा दादा ने कहा, न्यायमूर्ति के इस संकल्प से देश के लाखों नागरिकों को प्रेरणा मिलेगी। आइए हम न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया से प्रेरणा लें। अंग दान करने का संकल्प लें और समाज में एक बदलाव लाएं ताकि उम्मीद की विरासत छोड़ सकें।