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लू से बचाव के लिए आरएमएल ने शुरू की अत्याधुनिक हीट स्ट्रोक यूनिट 

-स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रोली सिंह ने बुधवार को किया उद्घाटन

नई दिल्ली, 8 मई : भीषण गर्मी के मौसम में लू से बचाव के लिए केंद्र सरकार के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में अत्याधुनिक हीट स्ट्रोक यूनिट स्थापित की गई है, जिसका उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रोली सिंह ने बुधवार को किया। इस अवसर पर आरएमएल के चिकित्सा निदेशक डॉ प्रोफेसर अजय शुक्ला, आपातकालीन चिकित्सा विभाग की अध्यक्ष डॉ. सीमा बालकृष्ण वासनिक और डॉ अमलेंदु यादव मौजूद रहे।

इस दौरान डॉ. शुक्ला ने कहा जैसे-जैसे शहर में तापमान बढ़ता है, वैसे-वैसे गर्मी से संबंधित आपात स्थितियों के खिलाफ सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा का महत्व भी बढ़ता है। ऐसे में आरएमएल की हीट स्ट्रोक यूनिट भीषण गर्मी के चलते लू से त्रस्त नागरिकों को निशुल्क उपचार प्रदान करेगी।इस यूनिट में उच्च प्रशिक्षित पेशेवरों की एक टीम तैनात की गई है जो लू से पीड़ित मरीजों को उचित उपचार प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, अगर समय पर और तेजी से इलाज न किया जाए तो हीट स्ट्रोक से होने वाली मृत्यु के आंकड़े 80% तक बढ़ सकते हैं।

डॉ अमलेंदु यादव ने बताया कि नागरिकों की सुविधा के लिए हीट स्ट्रोक यूनिट अस्पताल की पुरानी इमरजेंसी बिल्डिंग के भूतल पर कमरा नंबर 10 में स्थापित की गई है। इसमें दो बेड, दो बाथ टब और 250 किग्रा प्रतिदिन आइस क्यूब बनाने वाली एक हिम प्रशीतक मशीन सहित अन्य आपातकालीन चिकित्सा उपकरण मौजूद हैं। इनके जरिये ऐसे मरीजों का उपचार किया जाएगा जो लू से पीड़ित या प्रभावित होंगे।

कब लगती है लू
डॉ. यादव ने बताया कि व्यक्ति के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड या 98.6 फारेनहाइट होता है। जब भीषण गर्मी के चलते शरीर का तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड अधिक हो जाता है या 105 फारेनहाइट तक पहुंच जाता है। तब व्यक्ति को पसीना आना बंद हो जाता है और वह अपने शरीर का नियंत्रण खो देता है। ऐसी स्थिति को हीट स्ट्रोक होना या लू लगना कहा जाता है।

लू लगने पर उपचार
डॉ. यादव के मुताबिक लू लगने से पीड़ित व्यक्ति को हीट स्ट्रोक यूनिट के बाथ टब में 30 मिनट तक रखा जाता है। इस टब में आइस मेकिंग रेफ्रिजेरेटर के जरिये आरओ के पानी से तैयार आइस क्यूब डाली जाती है और बर्फीले पानी की ठंडक से पीड़ित के शरीर के तापमान को एक से पांच डिग्री तक नीचे लाया जाता है। साथ ही आईवी फ्लूड के माध्यम से शरीर को ठंडक प्रदान की जाती है यानी ग्लूकोस को 1-5 डिग्री सेंटीग्रेड तक ठंडा करके मरीज को चढ़ाया जाता है। इस दौरान उसकी हार्ट रेट और ईसीजी के साथ श्वसन दर की लगातार निगरानी की जाती है। यानी पीड़ित के स्वास्थ्य की देखभाल आईसीयू की तरह ही की जाती है।

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