हृष्ट -पुष्ट बच्चों व किशोरों को विकलांग बना रहा एफआरडीए
-देशभर में 29 हजार में से एक बच्चे में पाई जा रही है ये दुर्लभ बीमारी
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नई दिल्ली, 25 जून : अगर आपका बच्चा अपने शरीर का संतुलन बनाए रखने में नाकाम रहता है। चलने- फिरने और भागने दौड़ने के दौरान अचानक गिर जाता है। हाथ -पैरों में कंपकंपाहट या बोलने -चालने में दिक्कत होती है तो सतर्क हो जाएं। ये फ्रेड्रिक्स अटैक्सिया (एफआरडीए) के लक्षण हो सकते हैं जिसे शुरुआती स्तर पर तो ठीक किया जा सकता है लेकिन पूर्ण विकसित स्तर पर फिलहाल, इलाज संभव नहीं है।
दरअसल, एफआरडीए न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर या तंत्रिका विकार के कारण होने वाला एक बेहद गंभीर और दुर्लभ श्रेणी का वंशानुगत रोग है। जिसका इलाज देश में उपलब्ध नहीं है। हालांकि, अमेरिका और यूरोप में एफआरडीए की दवा ओमावेलॉक्सोलोन के नाम से आ चुकी है लेकिन मध्यम आय वर्ग के मरीज दवा की कीमत बहुत ज्यादा होने के चलते खरीद पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। इस दवा की एक महीने की खुराक करीब 32 लाख रुपये बताई जा रही है जो लंबे समय तक खानी पड़ सकती है।
डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि एफआरडीए अभी भारत सरकार की दुर्लभ रोग वाली सूची में नहीं है। अगर इसे सूची में शामिल कर लिया जाए तो सरकार के सहयोग से इस बीमारी के इलाज और दवा की खरीद करने में आसानी हो सकेगी। उन्होंने बताया कि यह बीमारी 5 से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों और किशोरों को अपना शिकार बनाती है जो अगले 10 से 15 वर्ष में विकलांग हो जाते हैं। उन्हें व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ता है।
पीड़ितों की समस्या और चिकित्सकीय जरूरतों के मद्देनजर एम्स दिल्ली के न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ अचल श्रीवास्तव ने बताया कि हम फ्रेड्रिक्स अटैक्सिया पर पिछले 24 साल से शोध कर रहे हैं। इसके लिए 150 मरीजों का पंजीकरण किया गया है। शोध के दौरान इस वंशानुगत रोग के लिए जिम्मेदार जींस की पहचान करने के साथ रोग की दवा और मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में व्यापक सुधार लाने के तरीके खोजे जा रहे हैं।
डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि एफआरडीए से पीड़ित व्यक्ति का तंत्रिका तंत्र धीरे-धीरे लेकिन बुरी तरह खराब होता चला जाता है। नतीजतन, मरीज शारीरिक विकलांगता का शिकार हो जाता है। इसकी शुरुआत शारीरिक असंतुलन से होती है। फिर मसल्स सूखने लग जाते हैं और उनकी ताकत कम हो जाती है। आवाज भी खराब हो जाती है। कुछ मरीजों को हार्ट प्रॉब्लम और कुछ को डायबिटीज हो जाती है।
29 हजार में से एक बच्चा एफआरडीए से पीड़ित
एफआरडीए की पहचान एक ब्लड टेस्ट से हो सकती है। अगर बच्चे में असंतुलन दिखे तो जांच जरूर कराएं। डॉ इश्तियाक अहमद ने कहा एफआरडीए को लेकर देश में जागरूकता का बहुत अभाव है जिसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि एमबीबीएस एमडी डॉक्टर भी इस बीमारी के बारे में नहीं जानते। उन्होंने बताया कि देश में 29 हजार में से एक बच्चा एफआरडीए से पीड़ित है।
क्या होता है तंत्रिका तंत्र
तंत्रिका तंत्र या प्रणाली, शरीर का कमांड सेंटर होता है जो सोचने, महसूस करने और हर काम को नियंत्रित करता है। इस तंत्र में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिकाएं शामिल होती हैं। तंत्रिका प्रणाली, बुद्धि, सीखने, स्मृति, गति, इंद्रियों और बुनियादी शारीरिक कार्यों जैसे कि दिल की धड़कन और सांस लेने के लिए जिम्मेदार होती है। यह आपकी सोच, बात और हर काम में शामिल होती है।