
Gujarat News : (अभिषेक बारड) सौराष्ट्र के अमरेली ज़िले के सावरकुंडला शहर में रहने वाले वेगड़ा परिवार ने एक अनोखा और भावनात्मक कार्य किया है। एडवोकेट रसिकबापू वेगड़ा और उनके भाइयों ने अपनी माता देवु मां और पिता वशराम बापू की स्मृति में अपने निवास स्थान पर “मावतर मंदिर” बनाकर उनके प्रति सम्मान व्यक्त किया है। यह मंदिर केवल एक स्मृति-चिह्न नहीं है, बल्कि समाज के लिए श्रद्धा और संस्कार का जीवंत संदेश बन गया है।
वशराम बापू के सबसे छोटे पुत्र ने कहा, “जब हमारे माता-पिता इस दुनिया से विदा हो गए, तब हमारे मन में एक बात आई कि हमारे माता-पिता हमारे लिए ईश्वर के समान हैं। उनकी उपस्थिति हमेशा महसूस हो, और आज की पीढ़ी को भी यह संदेश मिले कि माता-पिता के प्रति आदर होना चाहिए, इसी उद्देश्य से हम भाइयों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि उनके लिए मंदिर बनाया जाए।”
विशेष बात यह रही कि वेगड़ा परिवार के सभी भाइयों ने एकजुट होकर माता-पिता की मूर्तियाँ बनवाने के लिए राजस्थान में ऑर्डर दिया। मूर्तियाँ तैयार होने के बाद, सादगीपूर्ण लेकिन शास्त्रोक्त विधि से मावतर मंदिर की स्थापना की गई।
मूर्तियों के आगमन के समय परिवारजनों ने पूरे शहर और समाज के लोगों के साथ एक भव्य यात्रा का आयोजन किया। पहले पदयात्रा और फिर वाहनयात्रा निकाली गई, जिसमें विभिन्न जातियों और समुदायों के लोग शामिल हुए। इस यात्रा में केवल परिवार ही नहीं, बल्कि पूरे सावरकुंडला शहर के लोग जुड़कर माता-पिता को श्रद्धांजलि देते हुए भक्ति भाव व्यक्त कर रहे थे।
इस अवसर पर पूजन और संगीतमय भजन कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। मंदिर में माता-पिता की मूर्तियाँ स्थापित कर जिस तरह प्राण-प्रतिष्ठा की गई, वह किसी भी धार्मिक देवमंदिर की पूजा-विधि से कम नहीं थी।
इस पूरे आयोजन के माध्यम से वेगड़ा परिवार ने समाज को एक स्पष्ट संदेश दिया है–”माता-पिता ईश्वर के समान होते हैं। जैसे भगवान के लिए मंदिर बनाए जाते हैं, वैसे ही जीवित ईश्वर जैसे माता-पिता के लिए भी श्रद्धापूर्वक स्थान बनना चाहिए।”
यह अनोखा मावतरा मंदिर आज केवल वेगड़ा परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे शहर के लिए माता-पिता के सम्मान और संतानों के संस्कार का आदर्श बन चुका है।