
Gujarat News (अभिषेक बारड) : यमुना ने यम को राखी बाँधी और द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बाँधकर रक्षा का अभयदान माँगा था, ऐसी यशस्वी भूमि भारत में भाई-बहन और बहन-भाई एक-दूसरे की हरदम रक्षा करते आए हैं।
आधुनिक और मॉडर्न मानी जाने वाली इक्कीसवीं सदी में भी भाई-बहन के अटूट प्रेम, एक-दूसरे की देखभाल और रक्षा करने के प्रसंग हमारे आसपास मिल जाते हैं।
गांधीनगर में रहने वाले किरणभाई पटेल, भरूच में एक फर्टिलाइज़र कंपनी में नौकरी करते थे। दो साल पहले वे किडनी की गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए। डॉक्टरों ने किडनी फेल होने की दुखद खबर दी और किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी।
किडनी खराब होने से किरणभाई के परिवार पर मानो आसमान टूट पड़ा। उनका बेटा और बेटी, जो दोनों ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं, बहुत चिंतित हो गए। किरणभाई की धर्मपत्नी भी लगातार प्रभु से प्रार्थना करती रहीं।
परिवार के मुखिया पर आई इस अचानक आई विपत्ति से लड़ने के लिए परिवार मानसिक रूप से तैयार नहीं था।
इस गहरे आघात के बीच, किरणभाई पटेल के लिए उनकी चारों बहनें आशा की किरण और रक्षा का कवच बनकर आगे आईं।
किडनी दान मिलने की प्रतीक्षा करते हुए किरणभाई पटेल डायलिसिस पर जीवन बिता रहे थे। जब यह बात उनकी चारों बड़ी बहनों को पता चली तो सभी बहनों ने अपने छोटे भाई को किडनी देने की खुशी-खुशी तैयारी दिखा दी।
जिस छोटे भाई को आँगन में गोद में उठाकर खेलाया हो, उस पर ऐसी विपत्ति आने पर बहनें कैसे चुपचाप देख सकती थीं!
सबसे बड़ी बहन कनाडा में थीं। वे तुरंत भारत आईं और रिपोर्ट करवाए, लेकिन उम्र अधिक होने और ब्लड प्रेशर की समस्या होने के कारण डॉक्टरों ने उनकी किडनी लेने की अनुमति नहीं दी।
तीसरी बहन के रिपोर्ट में पता चला कि उनके पास तो जन्म से ही एक ही किडनी है। चौथी बहन को पैर में तकलीफ़ होने के कारण वे आंशिक रूप से दिव्यांग थीं, इसलिए उनकी किडनी भी नहीं ली जा सकती थी।
अंत में, दूसरी बड़ी बहन सुशीला बेन की किडनी मैच होते ही किडनी ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया गया।
किरणभाई कहते हैं, “सुशीला बहन के साथ मेरे जीजा भूपेंद्रभाई भी हमेशा मेरे साथ आते थे। बहन के रिपोर्ट करवाते समय वे हम दोनों भाई-बहन को हिम्मत देते और समझाते। बहन ने मुझे किडनी दी, उसमें मेरे जीजा का भी उतना ही सहयोग और सहारा था।”
58 वर्ष की सुशीला बेन अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए कहती हैं, “बहन अपने भाई का दुख कैसे देख सकती है! हमें पता चलते ही हम चारों बहनें किडनी देने को तैयार हो गई थीं। जब यह तय हुआ कि मुझे किडनी देनी है, तो मेरे ससुराल के पूरे परिवार ने मुझे समर्थन दिया।”
अहमदाबाद की सरकारी किडनी अस्पताल (IKDRC) में किडनी ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन करवाने के बाद, पिछले डेढ़ साल से किरणभाई पटेल स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
यह उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद की सरकारी किडनी अस्पताल IKDRC में पिछले तीन वर्षों में लगभग 20 बहनों ने भाई को किडनी दी है और 03 भाइयों ने बहन को किडनी देकर भाई-बहन के पवित्र संबंध को साकार किया है।
चार बहनों के बीच एकमात्र भाई किरणभाई पटेल की रक्षा के लिए सभी बहनों द्वारा दिखाया गया स्नेह और किडनी देने की तैयारी, समाज के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है।