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एसटीएफ ने तिब्बती नागरिक को दिल्ली से दबोचा

एसटीएफ ने तिब्बती नागरिक को दिल्ली से दबोचा

अमर सैनी
नोएडा। नोएडा एसटीएफ की टीम ने दिल्ली से एक तिब्बती नागरिक को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि आरोपी फर्जी फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारतीय पासपोर्ट बनाकर भारत में रह रहा था। एसटीएफ का दावा है कि आरोपी साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देता है। वह यहां अन्य दस्तावेजों के जरिए बैंक खाते खुलवाकर साइबर जालसाजों को देता था। जिसमें ठगी की रकम भेजी जाती थी। उसके द्वारा खोले गए 26 बैंक खातों का पता चला है।

एसटीएफ नोएडा यूनिट के अपर पुलिस अधीक्षक राजकुमार मिश्रा ने बताया कि आरोपी की
पहचान छिनजोन थारचिन उर्फ छनजोन के रूप में हुई है। वह चंद्र ठाकुर के नाम से पासपोर्ट बनवाकर दिल्ली के द्वारका सेक्टर-3 में रह रहा था। आरोपी चन्द्र ठाकुर पुत्र रमेश ठाकुर निवासी 2 ई 4 फ्लोर, एलआईजी फ्लैट पैकेट बी सेक्टर-3 द्वारका दिल्ली को पूछताछ के लिए एसटीएफ कार्यालय गौतमबुद्ध नगर लाया गया। वहां उससे विस्तृत पूछताछ की गई। साइबर ठगी के लिए विदेशी नागरिकों को बैंक खाते उपलब्ध कराने के साक्ष्य मिले। जिसके बाद चन्द्र ठाकुर ने बताया कि उसने तिब्बती नागरिक होने की पहचान छिपाते हुए पश्चिम बंगाल से फर्जी दस्तावेज तैयार कर पासपोर्ट बनवाया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपी चंद्रा ठाकुर के नाम से बने पासपोर्ट की वैधता वर्ष 2023 में समाप्त होने पर चिनजोन थारचिन ने वर्ष 2024 में दिल्ली के पते पर नया पासपोर्ट बनवा लिया। राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जब वह 14 वर्ष का था तो लासा तिब्बत भाग गया था। वहां से वह 50-60 लोगों के समूह के साथ दुकला नेपाल आया और करीब 3 माह तक काठमांडू के शरणार्थी केन्द्र में रहा। वहां से वह दिल्ली के बुद्ध विहार शरणार्थी केन्द्र में आया। करीब एक महीने बाद वीर ने हिमाचल प्रदेश के बिलिंग के एक स्कूल में पढ़ाई शुरू कर दी और करीब 3 साल पढ़ाई करने के बाद वह दिल्ली भाग आया। उसके बाद उसने चार साल तक धर्मशाला और दिल्ली के विभिन्न रेस्टोरेंट में काम किया और फिर 2008 में वह दिल्ली के मजनू का टीला में रहने आ गया।

ऐसे शुरू किया फर्जीवाड़ा
उसने बताया कि धीरे-धीरे न्यूरोड ने काठमांडू नेपाल से चीनी इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य चीजें चोरी-छिपे दिल्ली के बाजार में बेचना शुरू कर दिया। उसे चीनी भाषा का अच्छा ज्ञान हो गया। 2010-11 में फेसबुक पर एक महिला से दोस्ती करने के बाद वह सिक्किम के गंगटोक में आकर एक होटल में कुक का काम करने लगा। यहां उसकी मुलाकात दार्जिलिंग में फूड होटल चलाने वाले एक लड़के से हुई और फिर वह दार्जिलिंग में रहने आ गया। दार्जिलिंग में रहते हुए उसने फर्जी भारतीय नाम “चंद्र ठाकुर” के नाम से आधार कार्ड बनवाया। इसके बाद उसने वोटर आईडी कार्ड आदि बनवाकर वर्ष 2013 में चंद्र ठाकुर के नाम से भारतीय पासपोर्ट बनवाया। इसके बाद चिनजोन थारचिन ने चीन, मलेशिया, थाईलैंड, दुबई जैसे कई देशों की यात्रा की।

चीनियों को बैंक खाते कराए मुहैया
वर्ष 2021 में नेपाल यात्रा के दौरान काठमांडू में उसकी मुलाकात “ली” नामक एक चीनी से हुई और ली ने उससे नेट बैंकिंग के साथ ही किसी भारतीय बैंक का चालू खाता मुहैया कराने को कहा, जिसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के गेमिंग ऐप, लॉगिन ऐप, ट्रेड ऐप में किया जाना था। चिनजोन थारचिन ने अपने पूर्व परिचित जॉर्डन से खाते की व्यवस्था करने को कहा। इसके बाद चिनजोन और जॉर्डन ने मिलकर उन्हें भारतीय बैंक खाते मुहैया कराने शुरू कर दिए। बदले में वे नकद पैसे लेने लगे। चीनियों को भारतीय बैंक खाता मुहैया कराया गया। उस खाते में करीब 4.5 करोड़ रुपये का लेनदेन होने के बाद खाताधारक ने 9 दिसंबर 2021 को दिल्ली के जीटीवी एन्क्लेव थाने में मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें चिनजोन थारचिन (तिब्बती) जेल गया और करीब 9 महीने जेल में रहा। इसमें जॉर्डन सह-आरोपी है।

जानिए कैसे आया चीनियों के संपर्क में
जेल से छूटने के बाद चिनजोन थारचिन की मुलाकात द्वारका निवासी नंदू उर्फ नरेंद्र यादव से हुई। वह पहले से ही चीनियों के संपर्क में था। उनसे पैसे लेकर वह उन्हें भारतीय खाते मुहैया कराता था। चिनजोन थारचिन नेपाल और श्रीलंका में बैठे चीनियों के संपर्क में आया और विदेशी नागरिकों को भारतीय व्यक्तियों और फर्मों के बैंक खाते मुहैया कराने लगा। जिसका इस्तेमाल वे साइबर अपराध में कर रहे थे।

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