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Delhi: इमरजेंसी में असरदार फर्स्ट-रिस्पॉन्स के लिए भावी डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण, ‘प्राइमा क्यूरे – फर्स्ट रिस्पॉन्स मेडिसिन’ कार्यशाला लेडी हार्डिंग कॉलेज में आयोजित

Delhi: इमरजेंसी में असरदार फर्स्ट-रिस्पॉन्स के लिए भावी डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण, ‘प्राइमा क्यूरे – फर्स्ट रिस्पॉन्स मेडिसिन’ कार्यशाला लेडी हार्डिंग कॉलेज में आयोजित

नई दिल्ली, देश की राजधानी स्थित ऐतिहासिक लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में रविवार को ‘प्राइमा क्यूरे – फर्स्ट रिस्पॉन्स मेडिसिन’ नामक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें एमबीबीएस छात्रों को इमरजेंसी और ट्रॉमा मरीजों के शुरुआती मैनेजमेंट के लिए आवश्यक स्किल्स की गहन ट्रेनिंग दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य भावी डॉक्टरों को वास्तविक आपात स्थितियों में तुरंत, सटीक और प्रभावी प्रतिक्रिया देने योग्य बनाना था, जिससे मरीजों की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

कार्यशाला एनेस्थीसिया विभाग की प्रमुख डॉ. रंजू सिंह के निर्देशन में आयोजित हुई, जिसमें 63 अंडरग्रेजुएट मेडिकल छात्रों ने भाग लिया। प्रशिक्षण को विशेष रूप से व्यवहारिक अभ्यास (हैंड्स-ऑन) और छोटे समूह आधारित सीखने के रूप में डिज़ाइन किया गया, ताकि छात्र केवल सिद्धांत ही नहीं बल्कि वास्तविक परिस्थितियों में उन्हें लागू करना भी सीख सकें।

इस वर्कशॉप में छात्रों को अनेक तकनीकी एवं क्लिनिकल कौशल सिखाए गए, जिनमें —
ऑक्सीजन थेरेपी प्रदान करना, वाइटल पैरामीटर मॉनिटरिंग, एयरवे मैनेजमेंट की शुरुआती तकनीकें, फ्रंट-ऑफ-नेक-एक्सेस, सर्वाइकल स्पाइन स्टेबिलाइजेशन, पेशेंट ट्रांसपोर्ट के सही तरीके, फ्रैक्चर मैनेजमेंट, और ट्रॉमा मरीजों के लिए ई-फास्ट (Extended Focused Assessment with Sonography for Trauma) शामिल थे।

प्रशिक्षण सत्र में दिल्ली की पूर्व डीजीएचएस डॉ. वंदना बग्गा ने भी शिरकत की और छात्रों को जीवनरक्षक कौशल सीपीआर (Cardio Pulmonary Resuscitation) सहित कई महत्वपूर्ण तकनीकों के बारे में प्रशिक्षित किया। उन्होंने बताया कि CPR और फर्स्ट-लाइन ट्रॉमा मैनेजमेंट में दक्षता, अस्पताल पहुँचने से पहले ही कई मरीजों की जान बचा सकती है।

वर्कशॉप में भाग लेने वाले छात्रों ने कहा कि छोटे समूहों में प्रैक्टिकल सत्र, विशेषज्ञों की सुपरविजन, और वास्तविक उपकरणों के साथ अभ्यास ने इमरजेंसी मैनेजमेंट का कॉन्सेप्ट स्पष्ट कर दिया। उन्होंने माना कि यह कार्यक्रम उनके लिए सिद्धांत और वास्तविक चिकित्सा सेवाओं के बीच के अंतर को कम करने में बेहद उपयोगी सिद्ध हुआ, जिससे चिकित्सकीय आत्मविश्वास और तैयारी दोनों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।

इस पहल ने यह भी दर्शाया कि मेडिकल शिक्षा में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और सिमुलेशन-बेस्ड वर्कशॉप्स को बढ़ावा देना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है, खासकर जब देश में बढ़ते ट्रॉमा केस और आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने के लिए तेज और प्रशिक्षित फर्स्ट-रिस्पॉन्स की आवश्यकता लगातार बढ़ रही है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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