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Delhi: कमानी ऑडिटोरियम में ओडिसी नृत्य प्रस्तुति ‘राधे राधे’ ने दर्शकों को भक्ति और प्रेम में सराबोर किया

Delhi: कमानी ऑडिटोरियम में ओडिसी नृत्य प्रस्तुति ‘राधे राधे’ ने दर्शकों को भक्ति और प्रेम में सराबोर किया

रिपोर्ट: अजीत कुमार

राजधानी के ऐतिहासिक कमानी ऑडिटोरियम में आज शाम कला कल्प सांस्कृतिक संस्थान की ओर से आयोजित ओडिसी नृत्य प्रस्तुति ‘राधे राधे’ ने दर्शकों को भक्ति, प्रेम और समर्पण की अनुभूति से भर दिया। यह प्रस्तुति सूतरा फाउंडेशन, मलेशिया के कलाकारों द्वारा दी गई, जिसमें भारतीय और मलयेशियाई संस्कृति का अद्भुत संगम दिखाई दिया। इस मनमोहक प्रस्तुति का निर्देशन और नृत्य रचना गुरु डॉ. गजेन्द्र कुमार पांडा और पद्मश्री दातुक रामली इब्राहिम ने किया। संगीत रचना गुरु गोपाल चन्द्र पांडा, पंडित लक्ष्मीकांत पाटिल और संगीता पांडा ने तैयार की, जबकि ताल और नाद का संयोजन गुरु सच्चिदानंद दास ने किया और रूपांतरण का कार्य डॉ. श्यांतनु रथ ने संभाला।

मंच पर प्रस्तुत ओडिसी नृत्य में भावनाओं की कोमलता, लय की गहराई और शुद्धता का अद्भुत मेल देखने को मिला। कला कल्प सांस्कृतिक संस्थान की संचालिका और प्रसिद्ध ओडिसी नृत्यांगना डॉ. अतासी मिश्रा ने अपनी नृत्य शैली के माध्यम से भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को खूबसूरती से जीवंत किया। उन्होंने राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम, मिलन, वियोग और भक्ति के प्रसंगों को ऐसे सजीव किया कि पूरा सभागार भक्ति और भावनाओं के रस में डूब गया। सूत्रा फाउंडेशन मलेशिया और कला कल्प संस्थान दिल्ली के संयुक्त प्रयास से हुई यह प्रस्तुति सांस्कृतिक एकता और कला के वैश्विक विस्तार का प्रतीक बनी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारत में मलेशिया के हाई कमिश्नर दातो मुज़फ़्फ़र शाह मुस्तफ़ा उपस्थित रहे, जिन्होंने भारत और मलेशिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में इस आयोजन को महत्वपूर्ण बताया।

इसके अलावा कला कल्प सांस्कृतिक संस्थान के उपाध्यक्ष मोहित माधव, इंडिया हैबिटेट सेंटर के निदेशक के.जी. सुरेश, आईजीएनसीए नई दिल्ली के विभागाध्यक्ष और संस्थान के सलाहकार पैनल सदस्य डॉ. के. अनिल कुमार, हुजखास जगन्नाथ मंदिर के सचिव रवींद्रनाथ प्रधान, परिधि आर्ट ग्रुप की निर्मल वैद, पूर्व पुलिस महानिदेशक परवेज हयात और ओडिया महामंच के निदेशक गोबर्धन ढाल सहित अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। दर्शकों ने नृत्यांगनाओं की अभिव्यक्ति, नृत्य मुद्रा और संगीत संयोजन की भरपूर सराहना की। ‘राधे राधे’ प्रस्तुति ने यह सिद्ध किया कि भारतीय शास्त्रीय नृत्य केवल कला नहीं, बल्कि आत्मा और श्रद्धा का प्रतीक है।

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