Delhi: दिल्ली बना देश का पहला शहर, जहां ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी-स्मॉग गन अनिवार्य

Delhi: दिल्ली बना देश का पहला शहर, जहां ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी-स्मॉग गन अनिवार्य
रिपोर्ट: अभिषेक ब्याहुत
दिल्ली ने वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में पहली बार ऊंची इमारतों पर सालभर एंटी-स्मॉग गन की तैनाती को अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लिया गया है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के निर्देशन में पर्यावरण विभाग, एनसीटी दिल्ली ने पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत यह आदेश जारी किया। इससे दिल्ली देश का पहला ऐसा शहर बन गया है जिसने वर्टिकल बिल्डिंग स्ट्रक्चर को प्रदूषण नियंत्रण की नीति में कानूनी रूप से शामिल किया है।
यह निर्देश उन सभी व्यावसायिक परिसरों, मॉल, होटलों (निर्मित क्षेत्र 3,000 वर्ग मीटर से अधिक), और कार्यालय/संस्थागत इमारतों (G+5 या अधिक मंजिल) पर लागू होगा। हालांकि, यह नियम आवासीय इमारतों, ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों और व्यक्तिगत मकानों पर लागू नहीं होगा। इस नियम का उद्देश्य ऐसे प्रदूषण स्रोतों को नियंत्रित करना है जो वर्षों से अनदेखे रह गए थे और केवल मौसमी नियंत्रण या सलाह तक सीमित थे।
नए आदेश के अनुसार, इन इमारतों की छतों पर स्थायी रूप से एंटी-स्मॉग गन लगाने की अंतिम समयसीमा आदेश जारी होने की तिथि से छह महीने है। इनका संचालन मानसून अवधि (15 जून से 1 अक्टूबर) को छोड़कर पूरे वर्ष अनिवार्य होगा। गन की न्यूनतम संख्या तीन होगी यदि निर्मित क्षेत्र 10,000 वर्ग मीटर तक है, और हर अतिरिक्त 5,000 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए एक अतिरिक्त गन आवश्यक होगी। इन गनों को मोबाइल ट्रेलरों पर नहीं, बल्कि इमारत की छत पर स्थायी ब्रैकेट से लगाया जाएगा।
प्रत्येक गन की थ्रो क्षमता 75 से 100 मीटर होनी चाहिए और यह 5 से 20 माइक्रॉन के मिस्ट ड्रॉपलेट्स का छिड़काव करेगी ताकि यह PM2.5 और PM10 कणों को प्रभावी रूप से दबा सके। जल खपत अधिकतम 1,200 लीटर प्रति घंटा या 8 घंटे में 10,000 लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। साथ ही, इन गनों को दिन में तीन बार अधिकतम प्रदूषण वाले समय (सुबह 6:30–9:30 बजे, शाम 5:30–8:30 बजे और रात 1:30–4:30 बजे) में चलाना अनिवार्य होगा, जिससे वायु की गुणवत्ता को वास्तविक समय में प्रभावी ढंग से बेहतर बनाया जा सके।
पर्यावरण मंत्री सिरसा ने कहा, “हमारे बच्चों और अगली पीढ़ियों की स्वच्छ हवा की जिम्मेदारी अब कानूनी तौर पर हमारी है। अब स्मॉग गन लगाना और समयानुसार चलाना अनिवार्य है। जो पालन नहीं करेगा, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब बहाने नहीं चलेंगे। यह प्रशासनिक व्यवस्था को मौसमी उपायों से सालभर के नियमबद्ध प्रणाली में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है।”
निर्देश में यह भी कहा गया है कि इन एंटी-स्मॉग गनों को ध्वनि प्रदूषण से बचाने हेतु न्यूनतम शोर वाले ब्लोअर्स का उपयोग किया जाए और संभव हो तो गनों में रीयल-टाइम वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग सेंसर लगाए जाएं। इसके अलावा, जिन इमारतों की ऊंचाई 7 से 10 मंजिल तक है, उन्हें मिस्ट छिड़काव के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।
इस आदेश के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी एमसीडी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी, एनबीसीसी, डीयूएसआईबी और डीएसआईआईडीसी जैसी संस्थाओं को सौंपी गई है। ये एजेंसियां हर तिमाही पर एक रिपोर्ट पर्यावरण विभाग को प्रस्तुत करेंगी जिसमें उठाए गए कदम, निगरानी रिपोर्ट और किसी भी उल्लंघन पर की गई कार्रवाई का विवरण शामिल होगा।
यह आदेश दिल्ली के उन महीनों में विशेष रूप से कारगर साबित होगा जब वायु गुणवत्ता सबसे अधिक खराब होती है, जैसे अक्टूबर से जनवरी के बीच। इस पहल से यह स्पष्ट है कि दिल्ली अब प्रदूषण नियंत्रण को केवल मौसमी या सजावटी कदम मानने के बजाय उसे शहरी ढांचे और कानूनी दायित्व का हिस्सा बना रही है। सरकार ने यह संदेश साफ कर दिया है कि अब स्वच्छ हवा के अधिकार से कोई भी समझौता नहीं होगा।
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