Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का कहर, सफाई कर्मचारी, ऑटो चालक और डिलीवरी बॉय सबसे ज्यादा चपेट में

Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का कहर, सफाई कर्मचारी, ऑटो चालक और डिलीवरी बॉय सबसे ज्यादा चपेट में
राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा पर पहुंच चुका है और इसका सबसे गंभीर असर उन लोगों पर पड़ रहा है जो दिनभर सड़कों पर रहते हैं—जैसे सफाई कर्मचारी, ऑटो और कैब चालक, डिलीवरी बॉय, मजदूर तथा फुटपाथ पर रहने वाले नागरिक। हवा में बढ़ते पीएम 2.5 और पीएम 10 कण सांस के जरिए शरीर में घुसकर फेफड़ों से लेकर हृदय और मस्तिष्क तक हर अंग पर चोट पहुंचा रहे हैं। एम्स दिल्ली के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय हड्डा के अनुसार प्रदूषित वायु में मौजूद रसायन और सूक्ष्म धूल के कण खून में मिलकर ब्लड प्रेशर बढ़ाने, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने और गंभीर बीमारियां उत्पन्न करने का कारण बन रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण का असर खासतौर पर उन लोगों पर अधिक होता है जिनका काम पूरे दिन खुले वातावरण में रहता है।
डॉ. हड्डा ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए सही आकार का एन-95 मास्क पहनना बेहद आवश्यक है, क्योंकि साधारण कपड़े का मास्क जहरीली हवा से सुरक्षा नहीं कर पाता। दूसरा अहम उपाय है खुद को हाइड्रेट रखना—पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर में जमा बलगम पतला होता है और बाहर निकल जाता है, जिससे प्रदूषण का असर कम होता है। तीसरा उपाय है सुबह और शाम के समय बाहर जाने से बचना, क्योंकि इन घंटों में प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक होता है। उन्होंने यह भी सलाह दी कि लोग अपने भोजन में एंटीऑक्सीडेंट युक्त सब्जियां शामिल करें—हरी पत्तेदार, लाल, पीली और बैंगनी सब्जियां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को इंजेक्शन और इनहेलर समय पर लेने चाहिए। घर का बना खाना और घर में हल्का व्यायाम भी काफी फायदेमंद है।
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति भी प्रदूषण को बढ़ावा देती है। शहर एक कटोरीनुमा इलाके में बसा है, जहां हवा का प्रवाह कम रहता है, जिसके कारण पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कण वातावरण में ही फंसकर जहरीले होते जाते हैं। पड़ोसी राज्यों से आने वाला धुआं और मौसम की निष्क्रियता प्रदूषण को और स्थायी बना देती है।

एम्स दिल्ली के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अनंत मोहन ने चेताया कि अब प्रदूषण केवल नवंबर से फरवरी तक की मौसमी समस्या नहीं रह गया है बल्कि यह सालभर दिल्लीवासियों को परेशान करने वाली स्थायी चुनौती बन चुका है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में आज पीएम 2.5 का स्तर 453 तक पहुंच चुका है, जो बेहद खतरनाक श्रेणी है और संवेदनशील समूहों के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। डॉ. मोहन ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केवल प्राकृतिक हवा या बारिश पर निर्भर रहना अब संभव नहीं—तत्काल प्रभावी नीतियों और उनके सख्त क्रियान्वयन की जरूरत है, ताकि लाखों लोगों को इस अदृश्य खतरे से बचाया जा सके।
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