Caste Census: आज़ादी के बाद पहली बार होगी जाति जनगणना, केंद्र सरकार ने दी मंज़ूरी, बिहार चुनाव से पहले बदलेगा सियासी समीकरण
Caste Census: केंद्र सरकार ने आज़ादी के बाद पहली बार जाति जनगणना को मंज़ूरी दी है। बिहार चुनाव से पहले यह फैसला विपक्ष के बड़े मुद्दे को छीनने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर।

Caste Census: केंद्र सरकार ने आज़ादी के बाद पहली बार जाति जनगणना को मंज़ूरी दी है। बिहार चुनाव से पहले यह फैसला विपक्ष के बड़े मुद्दे को छीनने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पढ़ें पूरी खबर।
नई दिल्ली:
भारत में जातिगत आंकड़ों को लेकर दशकों से चली आ रही बहस अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए आज़ादी के बाद पहली बार जाति जनगणना को औपचारिक मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई।
यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लिया गया है, जहां विपक्ष इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन अब मोदी सरकार ने एक झटके में विपक्ष के हाथ से यह मुद्दा छीन लिया है।
Caste Census: जाति जनगणना क्यों है अहम?
भारत में पिछली बार जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी, और उसी के आंकड़ों के आधार पर मंडल कमीशन ने 1980 में रिपोर्ट दी थी। लेकिन तब से अब तक देश की सामाजिक संरचना में बड़ा बदलाव आ चुका है, जिसे जानने के लिए यह गणना बेहद आवश्यक हो गई है।
Caste Census: क्या बोले मंत्री अश्विनी वैष्णव?
सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कुछ राज्यों ने जाति सर्वे कराए, लेकिन वे कानूनी और पारदर्शी नहीं थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनगणना केवल केंद्र का विषय है, और अब इसे पूरी पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ किया जाएगा।
Caste Census: विपक्ष के आरोप और सरकार की रणनीति
कांग्रेस और I.N.D.I.A गठबंधन जहां इसे अपनी जीत बता रहे हैं, वहीं भाजपा इसे इतिहास रचने वाला फैसला बता रही है। अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने 2010 में जाति जनगणना का वादा किया था, लेकिन केवल सर्वे कराया गया।
Caste Census: बनेगी सर्वदलीय समिति?
सरकार 2011 की सामाजिक-आर्थिक जातीय जनगणना (SECC) से सबक लेते हुए इस बार एक सर्वदलीय समिति बना सकती है, जो जाति जनगणना का प्रारूप तय करेगी। इसका उद्देश्य है विश्वसनीय, पारदर्शी और समावेशी जनगणना मॉडल तैयार करना।
Caste Census: राजनीतिक समीकरण में बदलाव संभव
विशेषज्ञ मानते हैं कि जाति जनगणना से ओबीसी और अन्य वंचित वर्गों के लिए नीतियां बनाना आसान होगा। साथ ही यह फैसला बिहार चुनाव 2025 के समीकरणों को पूरी तरह बदल सकता है।
जाति जनगणना पर केंद्र सरकार का यह कदम न केवल राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में भी बड़ा प्रयास माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि सर्वदलीय सहमति से यह प्रक्रिया कैसे आगे बढ़ती है।