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Agra: आगरा की सांस्कृतिक आत्मा को मिला नया जीवन, जरदोजी “कृष्ण कला” के रूप में वैश्विक पहचान की ओर अग्रसर

Agra: आगरा की सांस्कृतिक आत्मा को मिला नया जीवन, जरदोजी “कृष्ण कला” के रूप में वैश्विक पहचान की ओर अग्रसर

रिपोर्ट: आकाश जैन

जिस तरह ताजमहल ने आगरा को विश्व मानचित्र पर स्थापत्य की राजधानी बनाया, उसी तरह जरदोज़ी — सोने के तारों से की जाने वाली बारीक और भव्य कढ़ाई — इस शहर की आत्मा है। इसी गौरवशाली पारंपरिक शिल्प को फिर से जीवंत और प्रासंगिक बनाने के लिए आगरा जरदोज़ी डेवलपमेंट एसोसिएशन ने “जरदोज़ी हमारी धरोहर, हमारी पहचान” कार्यक्रम का आयोजन किया।

संजय प्लेस स्थित होटल फेयरफील्ड बाय मैरियट में आयोजित दो सत्रीय इस आयोजन में प्रदर्शनी, कॉन्क्लेव और कौशल विकास कार्यशाला के माध्यम से जरदोज़ी को नए मंच और पहचान देने का प्रयास किया गया। उद्घाटन उत्तर प्रदेश लघु उद्योग निगम अध्यक्ष राकेश गर्ग (दर्जा राज्य मंत्री), चर्म उद्योग परिषद अध्यक्ष पूरन डावर, संयुक्त आयुक्त उद्योग अनुज कुमार, लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव मनीष अग्रवाल और संस्था की संरक्षक डॉ. रंजना बंसल ने दीप प्रज्वलन कर किया।

जरदोज़ी नहीं सिर्फ कढ़ाई, बल्कि सांस्कृतिक चेतना
कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए डॉ. रंजना बंसल ने कहा कि जरदोज़ी केवल कपड़ों की सजावट नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक चेतना और परंपरा का प्रतीक है। यह शाही पोशाकों की शोभा रही है और आज भी भगवान श्रीकृष्ण के श्रृंगार का हिस्सा है। उन्होंने इसे “कृष्ण कला” की संज्ञा देते हुए मांग की कि सरकार इसे ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ योजना में शामिल कर GI टैग दिलाए।

जरदोज़ी को ‘कृष्ण कला’ घोषित किया गया
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राकेश गर्ग ने कहा कि जरदोज़ी जैसे पारंपरिक शिल्प को आधुनिक बाजार, पर्यटन और फैशन उद्योग से जोड़ना ज़रूरी है। उन्होंने घोषणा की कि आगरा की जरदोज़ी को अब “कृष्ण कला” के नाम से प्रचारित किया जाएगा और इसे वैश्विक मंच पर स्थापित करने के प्रयास होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि आगरा के सभी होटलों में जरदोज़ी के नमूने प्रदर्शित किए जाएं।

उद्योग और निर्यात से जोड़ने की जरूरत
फुटवियर एवं चर्म उद्योग परिषद के अध्यक्ष पूरन डावर ने जरदोज़ी को फैशन, निर्यात और पर्यटन से जोड़ने की संभावनाओं पर बल दिया। लघु उद्योग भारती के मनीष अग्रवाल ने इसे पारंपरिक और आधुनिकता के संगम का प्रतीक बताया।

GI टैग की दिशा में मजबूत कदम
संयुक्त आयुक्त उद्योग अनुज कुमार ने कहा कि जरदोज़ी को GI टैग दिलाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। चांदी और ब्रश के बाद अब जरदोज़ी को भी GI टैग मिलने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है, और डेढ़ से दो वर्षों में इसके सफल होने की संभावना है।

कार्यशाला में आत्मनिर्भरता की सीख
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित जरदोज़ी कौशल विकास कार्यशाला का उद्घाटन महापौर हेमलता दिवाकर, एडीए उपाध्यक्ष एम. अरून्मोली और पूनम सचदेवा ने किया। कार्यशाला में 40 से अधिक महिलाओं को जरदोज़ी की तकनीक, डिज़ाइन और व्यवसायिक संभावनाओं की जानकारी दी गई। प्रशिक्षकों ने धागा, तार, मोती, बूँदों और कढ़ाई उपकरणों के इस्तेमाल का अभ्यास कराया।

मेयर हेमलता दिवाकर ने ऐलान किया कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट कर कृष्ण कला को कौशल विकास योजना में शामिल करने का प्रस्ताव रखेंगी, ताकि यह कला पुनः सम्मान और संरक्षण पा सके।

प्रदर्शनी में दिखा जरदोज़ी का वैभव
प्रदर्शनी में लगे 8 स्टॉल्स पर जरदोज़ी की उत्कृष्ट कारीगरी देखने को मिली। राखी कौशिक की स्टाल पर जरदोज़ी से सजी साड़ी, सूट और काफ्तान, जबकि अग्रज जैन की स्टाल पर हेडफोन और पेंटिंग्स पर जरदोज़ी का अद्वितीय समावेश दिखा। कोमिला धर द्वारा बनाया गया जरदोज़ी थीम वाला केक भी आकर्षण का केंद्र बना।

उपस्थित गणमान्य
इस भव्य आयोजन में हरविजय वाहिया, डॉ. सुशील गुप्ता, अनुज अशोक, केसी जैन, डॉ. डीवी शर्मा, आनंद राय, संजय गोयल, डॉ. मुकेश गोयल, रेनू लांबा सहित अनेक हस्तियां मौजूद रहीं। कार्यक्रम का संचालन श्रुति सिन्हा ने किया और व्यवस्थाएं मीनाक्षी किशोर, राशि गर्ग, आयुषी चौबे ने संभालीं।

समापन विचार
यह आयोजन केवल जरदोज़ी की कारीगरी का उत्सव नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत है — एक ऐसा प्रयास जिसमें “शाही कल” अब “स्वर्णिम कल” बनने की दिशा में अग्रसर है। जरदोज़ी अब केवल धागों में नहीं, बल्कि आगरा की पहचान में भी चमकने लगी है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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