Delhi: गाजीपुर सब्जी मंडी में जलजमाव से हाहाकार, नाले का गंदा पानी बना व्यापारी और ग्राहकों की मुसीबत

Delhi: गाजीपुर सब्जी मंडी में जलजमाव से हाहाकार, नाले का गंदा पानी बना व्यापारी और ग्राहकों की मुसीबत
रिपोर्ट: रवि डालमिया
पूर्वी दिल्ली की गाजीपुर सब्जी मंडी, जो पूरे पूर्वी दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा के हज़ारों परिवारों के जीवन और व्यवसाय की रीढ़ मानी जाती है, इन दिनों गंदे पानी के सैलाब में डूबी हुई है। यहां व्यापारी हों या ग्राहक, सभी लोग भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, और हैरानी की बात यह है कि यह जलभराव बारिश की वजह से नहीं, बल्कि बंद पड़े नाले के कारण हुआ है। पिछले कई दिनों से मंडी और उसके आस-पास का इलाका बदहाल हालत में है। सड़कें पूरी तरह जलमग्न हैं, और यह पानी न तो बरसात का है, न ही अस्थायी — यह गंदा, बदबूदार नाले का पानी है जो अब सड़क पर बहकर मंडी परिसर तक आ चुका है। स्थानीय लोगों और दुकानदारों के अनुसार, गाजीपुर मंडी के पास का मुख्य नाला बंद पड़ा है, जिससे गंदगी का पानी अब बाहर बहने लगा है और लगातार बढ़ते हुए सीएनजी पंप तक जा पहुंचा है। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि सीएनजी पंप को बंद करना पड़ा।
स्थानीय सब्जी विक्रेताओं, रेहड़ी वालों और खरीदारी के लिए आने वाले ग्राहकों ने बताया कि पिछले दो दिनों से बारिश नहीं हुई, इसके बावजूद मंडी में चारों तरफ पानी भरा हुआ है। यह स्पष्ट संकेत है कि समस्या प्राकृतिक नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम है। नाले की सफाई समय पर नहीं की गई, और अब उसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। लोगों का कहना है कि मंडी के बाहर खड़े होकर खरीददारी करना तो दूर, चलना भी मुश्किल हो गया है। गंदे पानी में पैर डूब जाते हैं, वाहन फंस जाते हैं और चारों ओर दुर्गंध फैली हुई है। सबसे बड़ी चिंता यह है कि नाले के इस गंदे पानी से बीमारियों के फैलने का खतरा तेजी से बढ़ गया है।
स्थानीय व्यापारियों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आज तक कोई मीडिया प्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं आया। वे दिन-रात इसी गंदगी में बैठकर काम कर रहे हैं क्योंकि यही उनका रोजगार है। लेकिन यह स्थिति कब तक चलेगी, इसका कोई जवाब नहीं है। स्थानीय लोगों ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार से मांग की है कि गाजीपुर मंडी के इस गंभीर जलजमाव और नाले की सफाई की ओर तुरंत ध्यान दिया जाए। यह सिर्फ गंदगी का मामला नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति बन चुकी है, जिसे नज़रअंदाज़ करना अब और संभव नहीं है।