Delhi Pollution: वायु प्रदूषण पर स्वास्थ्य आपातकाल, दिल्ली की हवा बन रही जानलेवा

Delhi Pollution: वायु प्रदूषण पर स्वास्थ्य आपातकाल, दिल्ली की हवा बन रही जानलेवा
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण इस कदर बढ़ चुका है कि राजधानी अब केवल धुंध और धुएं के मिश्रण वाले स्मॉग से नहीं, बल्कि एक व्यापक स्वास्थ्य आपातकाल से जूझ रही है। जहरीली हवा का असर दिल्ली वालों की सांसों, दिल और दिमाग पर इतने गंभीर रूप से हो रहा है कि एम्स दिल्ली को लोगों को अलर्ट जारी करना पड़ा है। खास बात यह है कि इसका प्रभाव केवल बुजुर्गों या पहले से बीमार लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरी तरह स्वस्थ युवा भी अब प्रदूषण जनित बीमारियों के साथ अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।
एम्स दिल्ली ने एक कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि जब भी लोग घर से बाहर निकलें, अच्छी गुणवत्ता वाला मास्क—संभव हो तो N-95—अनिवार्य रूप से पहनें। इसके साथ ही आंखों में लुब्रिकेंट, नाक में प्रोटेक्टिव ड्रॉप्स और धूल-मिट्टी से बचने के निर्देश दिए गए हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि सामान्य चश्मा (आई ग्लासेज) पहनना भी आंखों की सुरक्षा में काफी हद तक सहायक है।
एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख और वरिष्ठ फेफड़ा विशेषज्ञ प्रो. अनंत मोहन ने बताया कि दिल्ली की जहरीली हवा बीमारियों के स्वरूप को बदल चुकी है। कुछ वर्ष पहले जो खांसी 2–3 दिन में ठीक हो जाती थी, वही अब 3–4 हफ्तों तक बनी रहती है। पहले बिल्कुल स्वस्थ रहने वाले युवा भी आज नाक बहने, सांस फूलने, बुखार और एलर्जी जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं—ऐसे लक्षण जिन्हें उन्होंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।
प्रो. मोहन के अनुसार वायु प्रदूषण धीरे-धीरे इंसान की उम्र और जीवन गुणवत्ता दोनों को कम कर रहा है। फेफड़ों के अलावा यह हृदय, नसों, मानसिक स्वास्थ्य, गर्भवती महिलाओं की सेहत और बच्चों के फेफड़ों के विकास पर भी भारी असर डाल रहा है। उन्होंने बताया कि पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण खून में घुसकर हाई ब्लड प्रेशर (BP) की समस्या को तेजी से बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने चेतावनी दी कि दिल्ली एक वास्तविक आपातकालीन स्थिति में है, इसलिए केवल मौसमी उपायों या पराली-रोधी प्रयासों से आगे बढ़कर साहसिक, दीर्घकालिक और स्थायी रणनीतियों की जरूरत है। शहर की सेहत तभी सुरक्षित हो सकती है जब प्रशासन प्रदूषण से निपटने के लिए बड़े और प्रभावी बदलावों को जल्द से जल्द लागू करे।
दिल्ली की हवा लगातार खराब होती जा रही है, और जैसे-जैसे स्मॉग घना होता है, शहर की सांसें और भारी हो रही हैं। एम्स की यह चेतावनी नीतिकारों और आम जनता दोनों के लिए एक सख्त संदेश है—यह लड़ाई अब केवल वायु गुणवत्ता की नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा की है।
उन्होंने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण दिल्ली वालों के लिए सिर्फ नवंबर से फरवरी तक की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे साल परेशान करने वाली स्थिति है। गर्मियों में भी हवा की कमी और शहर में बढ़ते कंक्रीट के जंगल प्रदूषण को ऊपर उठने ही नहीं देते। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “मास्क लगाना समाधान नहीं, केवल सुरक्षात्मक उपाय है,” इसलिए दीर्घकालिक योजनाओं और उन पर तेज़ अमल की अब तत्काल जरूरत है ताकि दिल्ली की सांसों को राहत मिल सके।




