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उत्तर प्रदेश : मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री घोटाले में एसटीएफ की कार्रवाई, फर्जी डिग्री घोटाले की जांच तेज

Hapur News : मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच तेज हो गई है। बुधवार को विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की दो टीमों ने यूनिवर्सिटी पहुंचकर तीन घंटे तक रिकॉर्ड खंगाला और कई महत्वपूर्ण फाइलों व दस्तावेजों की छायाप्रतियां लेकर अपने साथ ले गईं।

लैपटॉप, डेस्कटॉप और मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा

टीम को लैपटॉप, डेस्कटॉप और मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट मिल चुकी है, जिसके आधार पर दलालों के कोड डीकोड हो गए हैं। इससे फर्जी डिग्री रैकेट में शामिल दलालों की वास्तविक पहचान संभव हो सकेगी। जांच में सावधानी बरतते हुए STF ने पुलिस अधीक्षक से भारी फोर्स की मांग की, जिसके बाद कड़ी सुरक्षा में यूनिवर्सिटी में छापेमारी की गई।

5 लाख से अधिक फर्जी डिग्री और मार्कशीट की बिक्री के साक्ष्य

जानकारी के अनुसार, मोनाड यूनिवर्सिटी द्वारा 5 लाख से अधिक फर्जी डिग्री और मार्कशीट की बिक्री के साक्ष्य एसटीएफ को मिल चुके हैं। ये फर्जी दस्तावेज देश के करीब नौ राज्यों में बड़े स्तर पर बेचे गए, जिनमें BTech, LLB, BSc, BEd जैसे कोर्स शामिल हैं। घोटाले की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है, और प्रत्येक डिग्री के लिए 50,000 से 4 लाख रुपये तक वसूले जाते थे।

पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

मई 2025 में STF की छापेमारी में यूनिवर्सिटी चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। छापे में 1,372 फर्जी डिग्री, 262 प्रोविजनल और माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 14 मोबाइल और 7 लैपटॉप जब्त हुए थे।

विजेंद्र सिंह का विवादित इतिहास

यूनिवर्सिटी चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही बाइक बॉट स्कैम (15,000 करोड़ का घोटाला) में आरोपी हैं, जिसमें 118 मुकदमें दर्ज हैं। 2022 में जमानत के बाद उन्होंने मोनाड यूनिवर्सिटी के जरिए यह रैकेट चलाया। 2021 और 2024 में भी मोनाड से जुड़े फर्जी दस्तावेज बरामद हो चुके हैं। एसटीएफ अब उन लोगों की तलाश में है, जिन्होंने फर्जी डिग्रियों से नौकरियां हासिल कीं।

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