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110th anniversary of Shahdara Police Station: शाहदरा पुलिस स्टेशन की 110वीं वर्षगांठ, स्वतंत्रता संग्राम का गौरवशाली प्रतीक

110th anniversary of Shahdara Police Station: शाहदरा पुलिस स्टेशन की 110वीं वर्षगांठ, स्वतंत्रता संग्राम का गौरवशाली प्रतीक

रिपोर्ट: हेमंत कुमार

Shahdara Police Station ने आज अपनी स्थापना के 110 वर्ष पूरे कर लिए हैं, जो दिल्ली पुलिस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। 7 जनवरी 1915 को ब्रिटिश शासन के दौरान स्थापित यह थाना, न केवल कानून प्रवर्तन में बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों को हिरासत में रखने के लिए भी प्रसिद्ध है। शाहदरा पुलिस स्टेशन की स्थापना के समय इसका अधिकार क्षेत्र पूरे यमुना पार क्षेत्र तक फैला था। इस ऐतिहासिक थाने ने कई स्वतंत्रता सेनानियों को हिरासत में लेकर उनके बलिदानों की गाथा लिखी है। यह स्टेशन ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाले क्रांतिकारियों की पीड़ा और संघर्ष का जीवंत प्रतीक बन गया था।

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान Shahdara Police Station में कई राजनीतिक कैदियों और क्रांतिकारियों को रखा गया था। यहाँ उन नेताओं को लाया जाता था जिन्होंने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ विरोध और हड़तालें की थीं। ब्रिटिश शासन के कठोर अत्याचारों के बावजूद, क्रांतिकारी अपने संकल्प पर अडिग रहे और आजादी की लड़ाई जारी रखी। शाहदरा पुलिस स्टेशन में पहली एफआईआर 7 जनवरी 1915 को दर्ज की गई थी। यह मामला खजान सिंह पुत्र रामपाल द्वारा दर्ज कराया गया था, जिसमें धारा 457 आईपीसी के तहत उनके घर में सेंध लगाने का आरोप लगाया गया था। खजान सिंह ने शिकायत की थी कि सुखदेव माली अपने साथी के साथ उनके घर के पीछे छेद कर अंदर घुसा और माचिस जलाई। रोशनी देखकर खजान सिंह जाग गए, जिससे आरोपी भाग निकले।

आज Shahdara Police Stationन आधुनिक कानून प्रवर्तन का केंद्र है, जो सार्वजनिक सुरक्षा, अपराध रोकथाम और कानून व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालाँकि, इसका ऐतिहासिक महत्व इसे अन्य पुलिस स्टेशनों से अलग बनाता है। शाहदरा पुलिस स्टेशन की 110वीं वर्षगांठ पर उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिन्होंने यहाँ हिरासत और पूछताछ के दौरान असहनीय पीड़ा सही। उनके बलिदान भारत के स्वतंत्रता संग्राम की अमर गाथा हैं। शाहदरा पुलिस स्टेशन की यह ऐतिहासिक यात्रा स्वतंत्रता सेनानियों की प्रेरणा और बलिदान की गवाह है। यह न केवल स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों को सहेजे हुए है, बल्कि आधुनिक भारत में कानून व्यवस्था बनाए रखने के अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक सशक्त पुलिस स्टेशन के रूप में भी उभर रहा है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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