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उत्तर प्रदेश, नोएडा: सोसाइटियों को नोटिस, रेस्तरां-होटल के कूड़े को भूला प्राधिकरण

उत्तर प्रदेश, नोएडा: सोसाइटियों को नोटिस, रेस्तरां-होटल के कूड़े को भूला प्राधिकरण

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। शहर से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण की योजना पटरी पर नहीं आ पा रही है। इसके पीछे बड़ा कारण गीला कूड़ा और उसके बड़े उत्पादक हैं। अगस्त-2020 में नोएडा अथॉरिटी ने यह नियम शहर में लागू किया था कि सभी बल्क वेस्ट जनरेटर अपने यहां से निकलने वाले गीले कूड़े का निस्तारण परिसर के अंदर ही प्लांट लगाकर करेंगे। लेकिन इनमें से नोएडा प्राधिकरण ने इस बार सिर्फ सोसाइटियों का कूड़ा देखा है। 117 सोसाइटियों को नोटिस जारी कर निस्तारण के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। वहीं बाकी बड़े कूड़ा उत्पादक होटल, रेस्तरां, कंपनी, गेस्ट हाउस व अन्य जो हैं उन पर कार्रवाई दूर नोटिस भी नहीं जारी किया गया है।

बात अगर शहर से मौजूदा समय में निकलने वाले कूड़े की करें तो करीब 600 मीट्रिक टन गीला व 160 मीट्रिक टन सूखा कूड़ा निकल रहा है। निस्तारण में सूखा कूड़ा समस्या नहीं है। छटनी भी हो जाती है। वहीं जो गीला कूड़ा है वह शहर के लिए चुनौती है। 600 में करीब 400 मीट्रिक टन गीला कूड़ा बड़े कूड़ा उत्पादकों व 200 आबादी एरिया का है। नियम के हिसाब से बड़े कूड़ा उत्पादकों को अपने गीले कूड़े का निस्तारण खुद ही करवाना है। ऐसा होने पर प्राधिकरण के जिम्मे सिर्फ 200 मीट्रिक टन गीला कूड़ा बचेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।

8,69,600 रुपये हर दिन खर्च कर रहा है प्राधिकरण-l

बड़े कूड़ा उत्पादकों का गीला कूड़ा करीब 400 मीट्रिक टन नोएडा प्राधिकरण उठवा रहा है और उसका निस्तारण भी करवा रहा है।सभी कंपनियों व होटल से अलग-अलग मात्रा में कूड़ा निकलता है। शहर में तीन-चार फूड प्रोसेसिंग व पैकेजिंग कंपनियां भी हैं। 1 मीट्रिक टन गीले कूड़े का शहर से सेक्टर-145 स्थित बायोरेमिडेशन प्लांट तक पहुंचाने में करीब 1400 रुपये ट्रांसपोटेशन का खर्च आता है। 774 रुपये प्रति मीट्रिक टन प्लांट चला रही एजेंसी लेती है। इस तरह 1 मीट्रिक टन गीले कूड़े पर अथॉरिटी को 2174 रुपये के करीब खर्च करने होते हैं। इस तरह प्राधिकरण इन बड़े कूड़ा उत्पादकों के बोझ पर हर दिन 8,69,600 रुपये खर्च कर रहा है।

यह है नियम

ठोस अपशिष्ट नियम -2016 के तहत गीले कूड़े का निस्तारण बल्क वेस्ट जनरेटर को अपने परिसर में ही करना है। नियम में इसे लागू करवाने की पावर स्थानीय निकाय या प्रभारी प्राधिकरण को दी गई हैं। यह नियम नोएडा अथॉरिटी ने कागजों पर 1 अगस्त 2020 से शहर में लागू किया हुआ है। 50 किलो से ज्यादा कूड़ा एक दिन में निकालने वाले को बल्क वेस्ट जनरेटर की श्रेणी में रखा गया है।

जुर्माना 4 साल से तय लेकिन लगा नहीं रहा जन स्वास्थ्य विभाग-

ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम -2016 के तहत नोएडा में लगाए जाने वाले जुर्माना भी गणना 2021 में हो चुकी है। आवासीय परिसर के लिए 10 हजार रुपये, मार्केट एसोसिएशन के लिए 20 हजार, गेटेड कम्युनिटी के लिए 10 हजार और संस्थानों पर 10 हजार रुपये का जुर्माना गीले कूड़े का निस्तारण न करने पर अथॉरिटी लगा सकती है। इसी तरह रेस्तरां पर 20 हजार रुपये, होटल पर 50 हजार रुपये, इंडस्ट्रियल यूनिट व खाद्य पदार्थों का ब्रांड निर्माता जो पैकिंग कर कई जगहों पर बेचता हो उस पर भी 1 लाख रुपये का जुर्माना तय हुआ है।

50 किलो से ज्यादा हर दिन गीला कूड़ा निकालने वाले बल्क वेस्ट जनरेटर-

प्राधिकरण ने बल्क वेस्ट जनरेटर (बड़े कूड़ा उत्पादक) का मानक तय किया हुआ है। मानक ये है कि 50 किलो से ज्यादा हर दिन गीला कूड़ा निकालने वाली जगहें बल्क वेस्ट जनरेटर की श्रेणी में आएंगी। इनमें सोसायटी, मार्केट असोसिएशन, होटल, रेस्तरां, गेस्ट हाउस, स्कूल, दफ्तर, अस्पताल व अन्य संस्थान शामिल हैं।

 

बड़े कूड़ा उत्पादक जो भी हैं उनसे निर्धारित नियमों का पालन करवाया जाएगा। शुरुआत सोसाइटियों से की गई है। इसके लिए आगे सोसाइटियों के साथ विभाग बैठक करेगा।

– संजय खत्री, एसीईओ, नोएडा प्राधिकरण।

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