
नई दिल्ली, 26 मार्च : टीकाकरण बीमारियों को नियंत्रित करने और रोग उन्मूलन के लिए सबसे प्रभावी उपाय है, जो हर साल लाखों लोगों की जान बचाता है। लेकिन कुछ टीके अक्सर खराब हो जाते हैं जिनके संरक्षण के लिए केंद्र सरकार देश भर में ना सिर्फ अत्याधुनिक कोल्ड चेन विकसित कर रही है। बल्कि टेक्नीशियन भी तैयार कर रही है ताकि स्टोरेज सिस्टम का संचालन 24 घंटे 7 दिन होता रहे।
यह जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (रास्पकस) के निदेशक डॉ धीरज शाह ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि टीके बहुत नाजुक जैविक पदार्थ है जो धीरे- धीरे कमजोर होते जाते हैं। यानि रोगों को रोकने की उनकी क्षमता कम होती जाती है। यह कमजोर होने की प्रक्रिया तब बहुत तेज हो जाती है, जब टीकों का तापमान उत्पादनकर्ता कंपनी द्वारा तयशुदा तापमान की सीमा को पार कर जाता है। अगर टीकों को उचित तापमान पर रखा जाए तो उनकी क्षमता लम्बे समय तक बनी रहती है। चूंकि रोग प्रतिरोधक टीकों से बीमारी की व्यापकता और बाल मृत्यु दर को कम करने में काफी मदद मिलती है।
डॉ शाह ने कहा, टीके लोगों को खसरा, पोलियो, तपेदिक और कोविड-19 जैसी बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। साथ ही संक्रामक रोगों की घटनाओं को कम करके हर्ड इम्युनिटी (झुंड प्रतिरक्षा) का निर्माण करते हैं जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य में भी मजबूती आती है। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय कोल्ड चेन और वैक्सीन प्रबंधन संसाधन केंद्र के तौर पर हम देश में लगभग 700 से ज्यादा अत्याधुनिक कोल्ड चेन विकसित कर चुके हैं। चूंकि यह टीकाकरण कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है। यह टीकों को निर्मित होने से लेकर टीकाकरण के समय तक ठंडे तापमान पर रखने की प्रणाली है। जो टीकों की प्रभावकारिता बनाए रखने में मदद करती है।
इस कोल्ड चेन के तहत रेफ्रिजरेटर, फ्रीजर, वैक्सीन वायल मॉनिटर, थर्मामीटर, इंसुलेटेड पैलेट और कंटेनर उपलब्ध कराए गए हैं। इसका मकसद टीकों की गुणवत्ता बनाए रखना और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। कुछ केंद्रों में सौर ऊर्जा से चलने वाले डीप फ्रीजर और वाकिंग कूलर भी उपलब्ध कराए गए हैं। कोल्ड स्टोरेज सिस्टम या कोल्ड चेन में आने वाली किसी भी किस्म की खराबी को दूर करने के लिए टेक्नीशियनों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जो सिस्टम को सुचारु रूप से चलाने में मदद करेंगे। इसके लिए कोल्ड चेन प्रबंधनकर्ता को संस्थान के पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करानी होगी।
93.23% पर पहुंचा टीकाकरण?
लगभग 2.67 करोड़ नवजात शिशुओं और 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण (यूआईपी) किया जाना देश में सबसे अधिक प्रभावी कार्यक्रमों में से एक बन गया है। इसने 2014 में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को 45 प्रति 1000 से घटाकर 2020 में 32 प्रति 1000 कर दिया है। वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ सभी पात्र बच्चों का टीकाकरण करने के निरंतर प्रयासों के साथ, वित्त वर्ष 2023-24 में देश का पूर्ण टीकाकरण कवरेज राष्ट्रीय स्तर पर 93.23% तक पहुंच गया है।
क्या है रास्पकस?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (रास्पकस), केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का ‘शीर्ष तकनीकी संस्थान’ है जो टीकाकरण और स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ-साथ एक ‘थिंक टैंक’ के रूप में कार्य करता है। संस्थान संचार, सामुदायिक स्वास्थ्य प्रशासन, महामारी विज्ञान, प्रबंधन विज्ञान, चिकित्सा देखभाल एवं अस्पताल प्रशासन के क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करता है।
क्यों जरुरी है कोल्ड चेन ?
सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा और बाल मृत्युदर में कमी लाने के लिए टीकों की जरुरत और टीकों की सुरक्षा के लिए कोल्ड चेन की जरुरत प्रासंगिक बनी हुई है। यह टीकों के उचित रख-रखाव के चलते होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। जो हाल ही में आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ने वाले भारत के सन्दर्भ में और जरुरी हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के अनुमान के अनुसार, भारत की जनसंख्या कई दशकों तक बढ़ती रहेगी।
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