 
						नई दिल्ली, 21 अक्तूबर :भारत-ऑस्ट्रेलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘ऑस्ट्राहिंड’ का चौथा संस्करण दोनों देशों की सेनाओं को सांस्कृतिक रूप से भी करीब लाने में मददगार साबित हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में आगामी 26 अक्तूबर तक जारी रहने वाला यह अभ्यास ना सिर्फ भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गहरे होते रक्षा संबंधों को दर्शाता है। बल्कि दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को भी इंगित करता है।
इस वर्ष के अभ्यास का मुख्य फोकस शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में संयुक्त कंपनी-स्तरीय आतंकवाद-रोधी अभियान है, जिसका मुख्य उद्देश्य वर्तमान सुरक्षा परिवेश पर केंद्रित है। दोनों देशों के सैनिक अपनी रणनीति को निखार रहे हैं और जटिल शहरी परिस्थितियों में अभियान चलाने की अपनी क्षमता में सुधार कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, इस अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों का अनुकरण भी शामिल है, जिसे वास्तविक दुनिया के परिदृश्यों को दोहराने के लिए डिज़ाइन किया गया है जहाँ बहुराष्ट्रीय सेनाओं को विविध और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रभावी ढंग से एक साथ काम करना होता है।
जैसे-जैसे यह अभ्यास आगे बढ़ रहा है, दोनों पक्ष सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला में भाग ले रहे हैं और युद्ध के अनुभवों को साझा कर रहे हैं, अपनी परिचालन क्षमताओं को मजबूत कर रहे हैं और गहन सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। ये अभ्यास अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देने के लिए भी डिज़ाइन किए गए हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना भविष्य के शांति अभियानों या मानवीय अभियानों में निर्बाध रूप से सहयोग कर सकें।
सामरिक प्रशिक्षण के अलावा, भाग लेने वाले सैनिकों के बीच सांस्कृतिक समझ बनाने और सौहार्द बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। दोनों देशों के सैनिकों को अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासतों को प्रदर्शित करने का अवसर मिला है, जिससे मित्रता और आपसी सम्मान के बंधन को मज़बूत करने में मदद मिली है। यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों सेनाओं के बीच स्थायी बंधन विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।





