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Dussehra 2024: चार शुभ संयोग, विजयादशमी पर करें ये कार्य, हर कार्य में मिलेगी सफलता

Dussehra 2024: चार शुभ संयोग, विजयादशमी पर करें ये कार्य, हर कार्य में मिलेगी सफलता

Dussehra 2024: सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक दशहरा इस साल 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज के दिन अस्त्र-शस्त्र की पूजा (Shastra Puja) और रावण दहन के बाद बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

  • विजयादशमी तिथि का आरंभ: 12 अक्टूबर, प्रातः 10:58 मिनट
  • तिथि का समापन: 13 अक्टूबर 2024, प्रातः 09:08 मिनट

4 शुभ योग

  1. श्रवण नक्षत्र: विजयदशमी के दिन श्रवण नक्षत्र का होना शुभ माना जाता है। यह नक्षत्र 12 अक्टूबर को सुबह 5:25 मिनट से शुरू होकर 13 अक्टूबर को सुबह 4:27 मिनट तक रहेगा।
  2. कुंभ राशि में शनि शश राजयोग: यह योग शुभ संयोग बना रहा है।
  3. लक्ष्मी नारायण योग: शुक्र और बुध का योग।
  4. शुक्र मालव्य नामक राजयोग: यह भी विजयदशमी के दिन उपस्थित रहेगा।

दशहरा मनाने की परंपराएँ

  • मां दुर्गा ने इस दिन महिषासुर का वध किया था, इसलिए इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
  • शस्त्रों की पूजा भी इस दिन की जाती है।
  • इस दिन शमी के पेड़ की पूजा करना शुभ होता है।
  • वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोना, आभूषण आदि खरीदना भी इस दिन शुभ माना जाता है।

रावण दहन का महत्व

रावण दहन का अर्थ है अपने अंदर के अहंकार और क्रोध का नाश करना। रावण का वध करने से पहले भगवान राम ने मां दुर्गा की पूजा की थी, और उनके आशीर्वाद के बाद रावण का अंत किया गया।

विजयादशमी पर पान का महत्व

पान खाना और खिलाना, तथा हनुमान जी पर पान अर्पित करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। पान मान-सम्मान, प्रेम और विजय का सूचक है। यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है।

मांगलिक कार्यों के लिए शुभ दिन

विजयदशमी को सर्वसिद्धिदायक माना गया है, और इस दिन सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। यह दिन नए कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत शुभ है।

शस्त्र पूजन का महत्व

दशहरा के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों पुरानी है। यह दिन आत्मरक्षार्थ रखे जाने वाले शस्त्रों की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। यह मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कार्यों का शुभ फल प्राप्त होता है।

नीलकंठ का दिखना क्यों शुभ है?

जब श्रीराम रावण का वध करने जा रहे थे, तब उन्हें नीलकंठ के दर्शन हुए थे, जिसके बाद उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई। इसलिए नीलकंठ का दिखना शुभ माना जाता है।

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