नई दिल्ली, 5 नवम्बर: भारतीय जल क्षेत्र में तेल रिसाव की आकस्मिक घटनाओं से निपटने और समुद्री पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में विभिन्न मंत्रालयों, केंद्र व राज्य सरकारों, बंदरगाहों व तेल हैंडलिंग एजेंसियों के लगभग 80 प्रतिनिधियों ने राष्ट्र की तैयारियों की समीक्षा की।
इस 26वीं राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना बैठक की अध्यक्षता भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के महानिदेशक परमेश शिवमणि ने की। आईसीजी के मुताबिक, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है, इसलिए शिपिंग के माध्यम से तेल आयात की मात्रा के साथ रसायनों और अन्य खतरनाक सामग्रियों की आवाजाही भी बढ़ रही है। यह वृद्धि भारत के समुद्री क्षेत्रों, व्यापक तटरेखा, तटीय आबादी, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यटन उद्योगों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है जिससे निपटने के लिए आईसीजी सहित तमाम संबद्ध एजेंसियां अपनी साझेदारी को मजबूत करने, समन्वय में सुधार करने और उभरती प्रौद्योगिकियों में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए एकीकृत नीति बना रही हैं।