मिताली चंदोला ( Editor Special Projects )
BSF Raising Day 2025: वो देश की सीमाओ पर रात दिन मुस्तैदी से पहरा देते है – तपते रेगिस्तान , भीषण सर्दी में, कच्छ के दलदल में हर तरह की विकट परिस्थिति में दुश्मन और उसकी गोली का डट कर सामना करते है और मुँह तोड़ जवाब देते है । पर सबसे गहरे ज़ख्म उन्हें दुश्मन नहीं बल्कि उस सिस्टम उस व्यवस्था से मिलते है जिसकी वो रक्षा करते है
इस बार 20 नवंबर को मनाया जाएगा BSF Raising Day 2025
इस साल सीमा सुरक्षा बल (BSF) के मनोबल पर गहरी चोट लगी है। बीएसएफ स्थापना दिवस, जो हर साल 1 दिसंबर को मनाया जाता रहा है, इस बार 20 नवंबर को कच्छ में मनाया जाएगा। यह बदलाव देखने में प्रशासनिक लग सकता है, लेकिन जवानों से लेकर अधिकारियों तक ने इसे दिल पर लिया है। उनके लिए यह सिर्फ़ एक तारीख नहीं, बल्कि एक परंपरा, एक पहचान और एक गर्व का दिन है।
BSF Raising Day 2025: गर्व की तारीख़ें बदली नहीं जानी चाहिएं
कई जवानों ने अपने वरिष्ठों से पूछा भी — कब तक ऐसी परंपराएं बदली जाएंगी? पर जवाब कोई ठोस नहीं मिला। शायद इसलिए आज कई यूनिफॉर्मों के पीछे एक ही भावना है — “गर्व की तारीख़ें बदली नहीं जानी चाहिएं।”
इसके साथ ही सेंट्रल लिकर मैनेजमेंट सिस्टम (CLMS) ने भी असंतोष बढ़ाया है। पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई यह व्यवस्था अब तनाव का कारण बन गई है। सर्वर फेल, लॉगिन एरर और डेटा मिस्टमैच जैसी तकनीकी गड़बड़ियों ने हज़ारों कर्मियों को परेशान कर रखा है। केरल हाईकोर्ट के अक्टूबर 2025 के फ़ैसले में इसे “भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक” बताया गया।
2021 से 2025 के बीच 201 BSF कर्मियों ने आत्महत्या की
टॉप स्टोरी द्वारा समीक्षा किए गए आंतरिक आँकड़ों के अनुसार, 2021 से 2025 के बीच कम से कम 201 बीएसएफ ( BSF ) कर्मियों ने आत्महत्या की है। 2021 में 44, 2022 में 37, 2023 में 43, 2024 में 52 और 2025 में अब तक 25 मामले दर्ज हुए हैं। हर आँकड़ा एक अधूरी कहानी कहता है — दबाव, थकान और चुप्पी की कहानी।
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विलंबित पदोन्नति, असमान वेतन, पारिवारिक सुविधाओं की कमी और सीमित अवकाश ने मनोबल को तोड़ दिया है। सीमाओं पर वे देश की रक्षा करते हैं, लेकिन व्यवस्था के भीतर उन्हें अपनी ही पहचान के लिए लड़ना पड़ता है।

बीएसएफ ( BSF ) दया नहीं मांगती — सम्मान, सुधार और स्वीकृति मांगती है। क्योंकि जो देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं, उन्हें एक ऐसी व्यवस्था मिलनी चाहिए जो उनकी गरिमा की रक्षा करे।





