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पौलैण्ड के गायत्री परिवार में जनमशताब्दी महोत्सव की तैयारियाँ प्रारंभ

पौलैण्ड के गायत्री परिवार में जनमशताब्दी महोत्सव की तैयारियाँ प्रारंभ
अंतर्राष्ट्रीय आईवीडोलमेड.टेक कॉन्फ्रेंस २०२५ में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए युवा आइकॉन डॉ पण्ड्या
हरिद्वार। मध्य यूरोप में स्थित पौलेण्ड के सुरम्य नगर करपाच देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या पहुंचे। नगर के अनेक प्रतिष्ठित सदस्यों के सहित महापौर श्री रादोस्लाव येंसेक ने आत्मीय स्वागत किया। नगर की ओर से एक स्मृति चिह्न प्रदान किया, जो डॉ. पण्ड्या जी तथा गायत्री परिवार के शाश्वत मूल्यों के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
इस दौरान गायत्री परिवार की संस्थापिका वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्मशताब्दी वर्ष के अंतर्गत होने वाले आयोजनों सहित युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्यश्री के जीवन-दर्शन, गायत्री परिवार के मार्गदर्शक सिद्धांतों तथा शताब्दी महोत्सव की तैयारियों पर विस्तृत एवं गहन चर्चा हुई। महापौर श्री येंसेक ने आश्वासन दिया कि वे आगामी वर्ष होने वाले इस ऐतिहासिक आयोजन में नगर के प्रतिनिधिमंडल सहित सहभागिता करेंगे।
इसके साथ ही युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने करपाच के मुख्य पादरी फादर बर्नार्ड से सौहाद्र्रपूर्ण एवं सारगर्भित भेंट की। विभिन्न सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा हुई। इस अवसर पर युवा आइकॉन ने करपाच स्थित भारतीय ध्यान केंद्र का भी अवलोकन किया। यह प्रतिष्ठित केंद्र विभिन्न देशों से आने वाले साधकों को ध्यान साधना की शिक्षा प्रदान करता है और आध्यात्मिक शिक्षण एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सेतु है। करपाच का यह केन्द्र ध्यान की सार्वभौमिकता तथा विविध समुदायों पर उसके जीवन-परिवर्तनकारी प्रभाव को अभिव्यक्त करता है।
वहीं आईवीडोलमेड.टेक कॉन्फ्रेंस २०२५ में बतौर मुख्य वक्ता युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या शामिल हुए। यह सम्मेलन यूरोप का सबसे प्रतिष्ठित मंच है, जहाँ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में वैश्विक नेता, नीति-निर्माता, वैज्ञानिक एवं विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं। इस दौरान युवा आइकॉन ने आपदाओं एवं संघर्ष की परिस्थितियों में स्वास्थ्य तंत्र की दृढ़ता, तत्परता एवं नैतिक उत्तरदायित्व पर बल देते हुए कहा कि वैज्ञानिक प्रगति तभी सार्थक है जब वह मानवीय मूल्यों से जुड़ी हो। उन्होंने कहा कि आज की विश्व व्यवस्था में विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण की जिक्र करते हुए कहा कि संस्थान का आधार ही वैज्ञानिक अध्यात्म है, जो आधुनिक शोध और प्रौद्योगिकी को मानवीय संवेदनाओं, नैतिकता एवं सामाजिक उत्तरदायित्व से जोडऩे का कार्य करता है। इस दौरान युवा आइकॉन  डॉ. पंड्या जी ने मंच के अध्यक्ष सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों को पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का वाङ्मय भेंट स्वरूप प्रदान किया, जिसे उपस्थित गणमान्यजनों ने अत्यंत सम्मान एवं जिज्ञासा के साथ स्वीकार किया।

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