
नई दिल्ली, 30 अप्रैल : भ्रामक दावों के साथ बाजार में पैकेट बंद खाद्य उत्पाद बेचने वालों को अब कठोर कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यानि पैकेटबंद डिब्बे में ताजे फलों के रस की जगह मीठा पानी होने पर और पैकेटबंद पौष्टिक आहार में पोषक तत्व ना होने पर निर्माता के लाइसेंस को रद्द करने के साथ जुर्माना भी लगाया सकता है।
दरअसल, केंद्र सरकार के एफएसएसएआई ने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए एक मोबाइल ऐप विकसित किया है जिसके माध्यम से वह पैक किए गए खाद्य पदार्थों के लेबल पर प्रदर्शित भ्रामक या झूठे दावों की शिकायत घर बैठे कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अपने मोबाइल फोन पर फूड सेफ्टी कनेक्ट मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करना होगा, जो गूगल प्ले स्टोर और एप्पल एप स्टोर पर फ्री उपलब्ध है।
उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत के साथ पैकेट बंद उत्पाद के भ्रामक दावे को उजागर करने वाली फ्रंट-ऑफ-पैक छवियां, निर्माता का एफएसएसएआई लाइसेंस या पंजीकरण संख्या भेजनी होगी और यदि उत्पाद ऑनलाइन बेचा जा रहा है तो ई-कॉमर्स यूआरएल की जानकारी मुहैया करानी होगी। इन इनपुट के जरिये खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) के खिलाफ त्वरित और साक्ष्य-आधारित कार्रवाई की जा सकेगी।
एफएसएसएआई के सीईओ जी. कमलावर्धन ने कहा कि मोबाइल ऐप से शिकायत करने की सुविधा से जहां पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। वहीं उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा के साथ खाद्य सुरक्षा नियमों को मजबूत बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा, यह कदम एफएसएसएआई के नियामक ढांचे पर आधारित है, जिसमें खाद्य उत्पादों पर किए गए सभी दावे सत्य, स्पष्ट, सार्थक, गैर-भ्रामक होने अनिवार्य हैं और भोजन में पोषण या स्वास्थ्य संबंधी गुण होने के दावे वैज्ञानिक रूप से सिद्ध होने चाहिए।
सीईओ के मुताबिक एफएसएसएआई की विज्ञापन और दावा निगरानी समिति (एएमसी) नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए खाद्य उत्पादों के लेबल और विज्ञापन में किए गए दावों की निगरानी करती है। नया रिपोर्टिंग तंत्र उपभोक्ताओं को एफएसएसएआई की आंख और कान के रूप में कार्य करने के लिए सशक्त बनाता है। साथ ही जमीनी स्तर पर सतर्कता को मजबूत करता है।
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