
नई दिल्ली, 30 अप्रैल : पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत पर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाकर झूठ का पिटारा खोल दिया है।
उन्होंने भारत पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है जबकि पाक सेना के पास मौजूदा शासन और सेना से असंतुष्ट ऐसे अधिकारियों और पुरुषों की बड़ी संख्या है जो पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी हमले करने के लिए पर्याप्त प्रेरणा रखते हैं। भारतीय सेना के मेजरों की ऐसी मानसिकता नहीं है। वहीं, पाक सेना एक क्षेत्रीय पंजाबी सेना है जो भारतीय सेना की तरह राष्ट्रीय सेना नहीं है। इसलिए ऐसे कई लोग हैं जो पाकिस्तान के अन्य प्रांतों से हैं और पाकिस्तान के भीतर आतंकी हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
दरअसल, आईएसपीआर हमेशा से ही भारत के खिलाफ आईओजेके (इंडिया ऑक्यूपाइड जम्मू कश्मीर), फितना अल ख्वारजी, डिजिटल टेररिस्ट जैसे शब्द गढ़ने में माहिर है और अब ‘राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद’ जैसे शब्दों को गढ़ रहा है। इस पीसी के दौरान जनरल चौधरी के चेहरे से अविश्वसनीयता साफ झलक रही थी क्योंकि उन्हें पता था कि वह जो कुछ भी बोल रहे हैं- वह झूठ, छल और धोखे से भरा हुआ है।
दुनिया जानती है कि भारतीय सेना में उच्च स्तर की पेशेवर नैतिकता है। यह भारत के संविधान के अनुसार अनिवार्य कर्तव्यों का पालन करती है। भारतीय सेना के अधिकारी और जेसीओ (पीसी में उद्धृत मेजर और जेसीओ) पाकिस्तान के लोगों को भड़काने या आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने या उनका मार्गदर्शन नहीं करती, जबकि पाकिस्तानी सेना अनिवार्य कार्यों के अलावा सब कुछ करती है। अपनी स्थापना के बाद से ही पाक सेना और आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) का गठजोड़ अनेक घटनाओं में गहराई से शामिल रहा है।
यह गठजोड़ राजनीति में तख्तापलट, हाइब्रिड सरकार गठन और प्रॉक्सी सरकार गठन से लेकर पूर्व में शेख मुजीबुर रहमान को राजनीतिक रूप से डराने-धमकाने में शामिल रहा है। जिसके कारण बांग्लादेश का निर्माण हुआ। अब यह पीटीआई के इमरान खान को भी राजनीतिक रूप से डराने-धमकाने की नीति पर काम कर रहा है।
पाक का यह नापाक गठजोड़ चुनाव में धांधली, राजनीतिक इंजीनियरिंग, संवैधानिक इंजीनियरिंग और न्यायिक इंजीनियरिंग में भी शामिल रहा है। साथ ही अशरफ शरीफ, इमरान रियाज खान और अन्य लोगों की हत्या व अपहरण करके पत्रकारों को चुप कराने में लगा है। पाक के मीडिया पर इसका सख्त नियंत्रण है। इसने अपने लोगों की स्वतंत्र आवाज को दबाने के लिए इंटरनेट पर फायर वॉल भी स्थापित की है।
पाकिस्तान के जनरल और वरिष्ठ अधिकारी राज्य को नुकसान और आम पाकिस्तानी के शोषण की कीमत पर कई व्यवसायों से पैसा कमा रहे हैं। पाक सेना की आतंकवादी भूमिका में 1947-48 के ऑपरेशन और जम्मू-कश्मीर के अंदर कबायली का इस्तेमाल, 1965 में ऑपरेशन जिब्राल्टर में फिर से कबायली और हमलावरों को काम पर रखना और 1967 व उसके बाद भारत में उत्तर पूर्वी विद्रोह का समर्थन करना शामिल है।
1990 के दशक से जेकेएलएफ, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और बाद में जैश-ए-मोहम्मद आदि को खड़ा करके और उनका समर्थन करके जम्मू-कश्मीर के अंदर आतंकवाद को अंजाम दे रहा है। भारत के अंदर पाक सेना द्वारा किए गए प्रमुख आतंकवादी हमलों में 1993 का मुंबई विस्फोट, 26/11 मुंबई हमला, पठानकोट हमला, पुलवामा आत्मघाती हमला, रियासी बस हमला और अब पहलगाम नरसंहार आदि शामिल हैं। पाक सेना देश के लिए सेना नहीं बल्कि एक आतंकवादी संगठन है जो 1947 से भारत को खून बहा रहा है।
भारत के पास पाकिस्तान द्वारा भारत के अंदर किए गए सभी आतंकवादी हमलों के अकाट्य सबूत हैं। उन सबूतों को पाकिस्तान के साथ साझा किया गया था, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। भारत के पास पाकिस्तान का तहव्वुर राणा है, एसएसजी सैफुल्लाह का पाकिस्तानी आतंकवादी बसंतगढ़ के जंगल में जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादी समूह के हिस्से के रूप में काम कर रहा है। पहलगाम हत्याकांड में भी एसएसजी कमांडो मूसा का नाम प्रकाश में आया है। इन सबूतों के कारण पाक सेना और आईएसआई चिंतित हैं। इसके अलावा पाकिस्तान अफगानिस्तान के अंदर आतंकवाद में भी शामिल है।
कर्नल इमाम उर्फ कर्नल तरार 1990 और 2000 के दशक के दौरान अफगानिस्तान के अंदर सक्रिय आईएसआई ऑपरेटिव का एक ऐसा उदाहरण है, जिसके बारे में पूरी दुनिया जानती है। पाकिस्तान अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के खिलाफ आईएसकेपी का समर्थन भी करता रहा है। इसलिए पाकिस्तान के पास पड़ोस को अस्थिर करने की बड़ी साजिश है। पाकिस्तान इन क्षेत्रों के विद्रोहियों के अलावा बलूचिस्तान और केपीके की निर्दोष आबादी पर भी आतंकवादी कार्रवाई कर रहा है।
आईएसपीआर ने क्यों की प्रेस कॉन्फ्रेंस ?
आईएसपीआर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के पीछे अपनी आतंकी कार्रवाई या प्रतिक्रिया को वैध बनाने के लिए भारतीय सेना को फंसाना था। वर्तमान में भारतीय सेना के पास उच्च नैतिक आधार है, लेकिन पाक सेना बहुत नीचे है। इसलिए वह भारत को बदनाम करने के उद्देश्य से अपने स्तर पर खींचना चाहती है ताकि पाक सेना के गिरते मनोबल को ऊपर लाने के साथ पाकिस्तानी आबादी को जनरल मुनीर के पीछे एकजुट किया जा सके। लेकिन आवाम स्पष्ट है और मुनीर का साथ नहीं देगी क्योंकि वह इमरान खान नहीं है।
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