
नई दिल्ली, 20 मई : प्राचीन सिले हुए जहाजों को एक बार फिर मुख्यधारा में लाने के लिए भारतीय नौसेना ने एक सिले हुए जहाज को अपने बेड़े में शामिल करने का फैसला किया है। इस संबंध में बुधवार को नौसेना बेस, कारवार में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में जहाज का नाम घोषित किया जाएगा।
सिला हुआ जहाज 5वीं शताब्दी के जहाज का एक नया रूप है, जो अजंता की गुफाओं की एक पेंटिंग से प्रेरित है। इस परियोजना की औपचारिक शुरुआत संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और मेसर्स होदी इनोवेशन के बीच जुलाई 2023 में हस्ताक्षरित एक त्रिपक्षीय समझौते के माध्यम से हुई थी, जिसमें संस्कृति मंत्रालय से वित्त पोषण प्राप्त हुआ था। स्टिच्ड शिप की कील बिछाने का काम 12 सितंबर 23 को हुआ।
स्टिच्ड शिप का निर्माण पूरी तरह से पारंपरिक तरीकों और कच्चे माल का उपयोग करके केरल के कारीगरों द्वारा किया गया था, जिसका नेतृत्व मास्टर शिपराइट बाबू शंकरन ने किया था। जहाज को फरवरी 2025 में मेसर्स होडी शिपयार्ड, गोवा में लॉन्च किया गया था। हालांकि जहाज अवधारणा विकास, डिजाइन, तकनीकी सत्यापन और निर्माण सहित पूरे स्पेक्ट्रम की देखरेख भारतीय नौसेना ने की है। जिसमें मेसर्स होडी इनोवेशन और पारंपरिक कारीगरों की मदद ली गई।
सिले हुए पतवार, चौकोर पाल, लकड़ी के स्पार्स और पारंपरिक स्टीयरिंग तंत्र का संयोजन जहाज को दुनिया में कहीं भी नौसेना सेवा में वर्तमान में किसी भी जहाज से अलग बनाता है। अपने बेड़े में शामिल करने के बाद भारतीय नौसेना इस जहाज को पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर चलाने की महत्वाकांक्षी चुनौती का सामना करेगी, जिससे प्राचीन भारतीय समुद्री यात्रा की भावना को पुनर्जीवित किया जा सके। गुजरात से ओमान तक जहाज की पहली ट्रांसओशनिक यात्रा की तैयारियां पहले से ही चल रही हैं।
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