
नई दिल्ली, 22 जुलाई :दक्षिण एशिया में सात में से एक मौत डायबिटीज के कारण होती है जिसे एक सरल बहु-घटक डायबिटीज देखभाल के जरिये ना सिर्फ कम किया जा सकता है। बल्कि तेज रफ़्तार से फैल रहे डायबिटीज या मधुमेह जैसे रोग को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही डायबिटीज के चलते उत्पन्न होने वाले हृदय रोग, स्ट्रोक, अंधापन या दृश्य हानि, गुर्दे व तंत्रिका क्षति जैसे गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) में 30 फीसद तक की कमी लाई जा सकती है।
यह जानकारी एम्स दिल्ली के एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग के प्रोफेसर निखिल टंडन ने डायबिटीज को लेकर संपन्न अबतक के सबसे लंबे अध्ययन की रिपोर्ट सार्वजनिक करने के दौरान सोमवार को दी। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में कार्डियोवैस्कुलर जोखिम न्यूनीकरण केंद्र (सीए -आरआरएस ) द्वारा किया गया अध्ययन डायबिटीज देखभाल लक्ष्यों को प्राप्त करने में गुणवत्ता सुधार की रणनीतियों की प्रभावी जानकारी देता है। जिसमें ग्लूकोज, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रखना भी शामिल है।
उन्होंने बताया कि यह अध्ययन भारत और पाकिस्तान के निम्न एवं मध्यम आय (एलएमआईसी) वर्ग पर करीब 6.5 वर्ष अवधि तक किया गया है। इसके जरिये गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) से निपटने के राष्ट्रीय प्रयासों को सफल बनाया जा सकता है और डायबिटीज नियंत्रण के आंकड़ों में इजाफा भी किया जा सकता है। डॉ टंडन के मुताबिक डायबिटीज नियंत्रण एक वैश्विक चुनौती बनी हुई है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, अंधापन या दृश्य हानि, गुर्दे और तंत्रिका क्षति जैसी गंभीर जटिलताएं उत्पन्न होती हैं। एलएमआईसी को अक्सर अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और डिजिटल साक्षरता वाले प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा कर्मचारियों की सेवाएं नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में अध्ययन में शामिल मधुमेह देखभाल मॉडल को स्थायी रूप से लागू किया जाए तो गरीबों की मधुमेह रोग से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है और मधुमेह को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यह अध्ययन भारत के दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम समेत 10 शहरों के 10 निजी व सरकारी अस्पतालों में संपन्न किया गया। इस दौरान मधुमेह रोगियों का उपचार विशेषज्ञ डॉक्टर के अनुभव और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के संगम के साथ किया गया।उपचार के दौरान मरीज के बीपी, शुगर, वजन, हाइट, रोग का इतिहास व अन्य जरूरी जानकारी एक स्नातक स्तर के कर्मी ने इलेक्ट्रानिकली संग्रहित की और डॉक्टर ने क्लिनिकल डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (सीडीएसएस) का इस्तेमाल करते हुए मरीज के रोग का उपचार किया। नतीजतन मरीजों के मधुमेह नियंत्रण के मामलों में 225 फीसदी सफलता दर्ज की गई और एनसीडी के मामलों में 30 फीसद तक की कमी पाई गई। डॉ टंडन ने बताया कि इस संबंध में एम्स दिल्ली ने नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के साथ एक एमओयू साइन किया गया है जिसके तहत अध्ययन में शामिल मधुमेह देखभाल प्रक्रिया और सीडीएसएस ऐप को एकीकृत करने पर सहमति बनी है। जल्द ही यह सुविधा गांव से लेकर जिले तक उपलब्ध होगी।
क्या है सीडीएसएस ?
एक ऐप है जिसमें मरीज के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड और डॉक्टर के परामर्श के ढाई से तीन हजार कम्प्यूटरीकृत प्रविष्टियां शामिल हैं। इस ऐप में मरीज का डाटा अपलोड करने के बाद डॉक्टर को मरीज के उपचार और दवा की उपयुक्त खुराक से संबंधित जानकारी तुरंत मिल जाती है। इस ऐप को एम्स दिल्ली के एंडोक्राइनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म विभाग और सहयोगियों ने विकसित किया है।
मधुमेह से कैसे बचें ?
मधुमेह से बचाव के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने के साथ खान- पान और सोने -जागने की आदतों में प्रकृति के अनुकूल बदलाव लाया जाना बेहद जरुरी है। साथ ही बर्गर, पिज्जा, चाउमीन जैसे जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें। स्वस्थ जीवन शैली का पालन करें। इसके अलावा रक्त में ग्लूकोज की मात्रा 7% से कम, सिस्टोलिक रक्तचाप 130 से कम और एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल 100 एमजी से कम बनाए रखें