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बेरोजगारों और मजूदरों का बैंक खाता बेचने वाले गिरोह के तीन सदस्य चढ़े पुलिस के हत्थे

बेरोजगारों और मजूदरों का बैंक खाता बेचने वाले गिरोह के तीन सदस्य चढ़े पुलिस के हत्थे

अभिषेक ब्याहुत

नोएडा। गरीबों, बेरोजगारों और मजूदरों समेत अन्य भोले-भाले लोगों को बहला फुसलाकर उनके फर्जी बैंक खाते खुलवाकर व्यापक स्तर पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए सेक्टर-63 पुलिस ने रविवार को तीन सदस्यों को दबोच लिया। गिरोह का सरगना अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है। गिरफ्त में आए आरोपियों के कब्जे से तीन चेकबुक, तीन एटीएम कार्ड, दो सिम कार्ड और 1370 रुपये की नकदी समेत पूरी किट बरामद हुई है। आरोपियों द्वारा अबतक 20 से अधिक लोगों से ठगी करने की जानकारी पुलिस को मिली है।

एसीपी दीक्षा सिंह ने बताया कि लोकल इंटेलिजेंस एवं गोपनीय सूचना के आधार पर गिरोह के जिन सदस्यों को दबोचा गया है, उनकी पहचान सहारनपुर के खुजनवार गांव के 35 वर्षीय जावेद राव और 27 वर्षीय जावेद व मेरठ के सलापुर गांव निवासी नौबहार निवासी नौबहार के रूप में हुई है। पूछताछ में तीनों ने बताया कि गिरोह के सदस्य बेरोजगार युवकों और मजदूरों से संपर्क कर उनका बैंक में खाता खुलवा देते थे। इसके लिए पांच सौ रुपये गिरोह के सदस्य खाता धारक को पहले ही दे देते थे। खाता खुलने के बाद खाता धारकों की पासबुक, चेकबुक, एटीएम कार्ड, एटीएम पिन, इंटरनेट बैंकिंग की यूजर आईडी, पासवर्ड और खाते से लिंक सिम कार्ड शातिर अपने पास रख लेते थे। इसके बाद आरोपी इन सारे दस्तावेजों को अलग-अलग तरीके से साइबर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना को दस से 12 हजार रुपये में बेच देते थे। वहां से पैसा मिलने के बाद गिरोह के सदस्य मूल खाता धारकों को तीन से पांच हजार रुपये दोबारा दे देते थे। इस प्रकार से आरोपियों को एक खाता ठगों को बेचने से पांच से सात हजार रुपये का फायदा हो जाता था। अबतक 20 लोगों का खाता बेचने की बात आरोपियों ने कबूल की है। वहीं पुलिस का कहना है कि तीनों ने सौ से अधिक भोले-भाले लोगों का खाता खुलवाकर उसे ठग गिरोह को बेचा है। तीनों आरोपियों को यह भी पता नहीं है कि जिन खातों को वह बेच रहे थे,उनका इस्तेमाल किस प्रकार की ठगी में हो रहा है। दस्तावेजों और सिम का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी होने के पहलू पर भी पुलिस मामले की जांच को आगे बढ़ा रही है।

विज्ञापन देखकर सरगना से किया संपर्क:

आरोपियों ने बताया कि गिरोह का सरगना दिल्ली निवासी आसिफ है। सोशल मीडिया पर विज्ञापन देखने के बाद तीनों ने आसिफ से मोबाइल पर संपर्क किया था। तीनों से मुलाकात करने के लिए सरगना आसिफ नोएडा आता था और सदस्यों को खाते खरीदने और बेचने का लक्ष्य देता था। अटकलें हैं कि नोएडा की तरह आसिफ ने अन्य शहरों में भी इसी प्रकार की ठगी करने वाले गिरोह को सक्रिय कर रखा है। आसिफ और गिरफ्त में आए तीनों आरोपियों का पुलिस आपराधिक इतिहास पता कर रही है। सभी आरोपी दसवीं से 12वीं पास हैं।

मोबाइल में कई राज:

पुलिस ने आरोपियों की मोबाइल भी अपने कब्जे में ले ली है और उसे जांच के लिए भेजा है। मोबाइल में ठगी संबंधी कई चैट मिली है। कई चैट डिलीट भी की गई है। एक मैसेज में कुछ रकम फ्रीज होने की बात भी कही जा रही है। संभावना है कि मोबाइल में कई ऐसे राज हैं,जिससे यह पता लग जाएगा कि आरोपियों ने अबतक कितने लोगों के साथी ठगी की है और गिरोह के तार कहां-कहां से जुड़े हैं। सरगना की तलाश में पुलिस की दो टीमें गठित की गई हैं। संभावित ठिकानों पर पुलिस की तलाश जारी है। गिरोह में दस के करीब सदस्यों के शामिल होने की आशंका है।

पहले भी आए हैं ऐसे मामले:

24 अप्रैल 2021: फर्जी आधार कार्ड बनाकर बैंक खातों से ठगी करने वाले गिरोह के सात सदस्य गिरफ्तार

1 जून 2023: फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर 15 हजार करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह का सेक्टर-20 पुलिस ने किया पर्दाफाश

पांच फरवरी 2023: नाइजीरियन ठगों को बैंक खाते देने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर साइबर क्राइम थाने की टीम ने सात को दबोचा

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