Vizhinjam Port: केरल का विझिंजम पोर्ट भारत को बनाएगा ग्लोबल ट्रेड हब, जानिए इसके फायदे और खासियतें
केरल का Vizhinjam Port भारत का पहला डीपवॉटर कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है जो देश को वैश्विक व्यापार में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। जानिए इसकी खूबियां, आर्थिक फायदे और रोजगार पर असर।

केरल का Vizhinjam Port भारत का पहला डीपवॉटर कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है जो देश को वैश्विक व्यापार में नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगा। जानिए इसकी खूबियां, आर्थिक फायदे और रोजगार पर असर।
Vizhinjam Port : भारत का पहला डीपवॉटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को पहला डीपवॉटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट सौंपते हुए इतिहास रच दिया है। केरल के विझिंजम में 8,900 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पोर्ट न केवल भारत के समुद्री व्यापार की दिशा बदलेगा, बल्कि वैश्विक मानचित्र पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
क्या है ट्रांसशिपमेंट पोर्ट?
ट्रांसशिपमेंट पोर्ट वह होता है जहां एक बड़े जहाज से कंटेनर उतारे जाते हैं और उन्हें छोटे जहाजों में डालकर उनकी अंतिम मंज़िल तक पहुंचाया जाता है। Vizhinjam Port भारत का पहला ऐसा पोर्ट है जो इस भूमिका को निभाएगा। इसकी गहराई करीब 20 मीटर है और यह अंतरराष्ट्रीय शिपिंग रूट्स के बेहद करीब है, जिससे इसे कोलंबो या जेबेल अली जैसे विदेशी पोर्ट्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
Vizhinjam Port : पोर्ट की खासियतें और टेक्निकल जानकारी
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गहराई: 20 मीटर प्राकृतिक गहराई
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ब्रेकवॉटर: 3,000 मीटर
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बर्थिंग एरिया: 800 मीटर (पहले फेज में)
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TEU क्षमता: प्रारंभिक 10 लाख TEU, फाइनल क्षमता 62 लाख TEU (2029 तक)
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लोकेशन लाभ: पूर्व-पश्चिम वैश्विक समुद्री मार्ग से केवल 10 नॉटिकल मील दूर
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कनेक्टिविटी: राष्ट्रीय राजमार्ग, रेलवे और त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से सीधा जुड़ाव
Vizhinjam Port: आर्थिक लाभ, विदेशी पोर्ट्स पर निर्भरता होगी खत्म
अब तक भारत का लगभग 75% समुद्री व्यापार विदेशी पोर्ट्स जैसे श्रीलंका का कोलंबो, यूएई का जेबेल अली और सिंगापुर के माध्यम से ट्रांसशिप किया जाता था। इससे प्रति कंटेनर $80-100 का अतिरिक्त खर्च और समय बढ़ता था।
विझिंजम पोर्ट से भारत को हर साल लगभग 200–220 मिलियन डॉलर की बचत होगी और स्वदेशी लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा मिलेगा।
Vizhinjam Port: स्थानीय रोजगार और सामाजिक प्रभाव
विझिंजम पोर्ट पर फिलहाल 755 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 67% स्थानीय, 57% त्रिवेंद्रम जिले से और 35% बिलुकल क्षेत्र से हैं। सबसे खास बात यह है कि मछुआरा समुदाय की 9 महिलाओं को क्रेन ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया है – जो किसी भारतीय पोर्ट में पहली बार हुआ है।
संचालन और साझेदारी
यह प्रोजेक्ट पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है। संचालन अडानी ग्रुप के हाथों में है, लेकिन इसमें केरल सरकार की 61.5% और केंद्र की 9.6% हिस्सेदारी है। इससे स्पष्ट होता है कि यह प्रोजेक्ट केवल एक कॉर्पोरेट उपक्रम नहीं, बल्कि जनहित और राज्य हित से जुड़ा है।
क्यों है Vizhinjam Port भारत के लिए अहम?
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भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में स्थिति मज़बूत होगी
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विदेशी पोर्ट्स पर निर्भरता में कमी
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लॉजिस्टिक्स लागत में कटौती
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स्थानीय विकास और निवेश को बढ़ावा
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प्रवासी मलयाली समुदाय को स्वदेश में रोजगार के अवसर
जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “यह पोर्ट ट्रेड और कॉमर्स को बढ़ावा देगा और केरल की इकॉनमी के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा।” विझिंजम पोर्ट सिर्फ एक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि भारत के समुद्री शक्ति बनने की दिशा में एक ठोस कदम है।
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