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Ground Report: दिवाली में ग्रीन पटाखों पर अनुमति, क्या सच में कम होगा प्रदूषण?

Ground Report: दिवाली में ग्रीन पटाखों पर अनुमति, क्या सच में कम होगा प्रदूषण?

रिपोर्ट: रवि डालमिया

दिवाली का पर्व खुशियाँ और उत्सव लेकर आता है, लेकिन साथ ही पटाखों के कारण बढ़ता प्रदूषण हर साल चिंता का विषय बनता है। हाल ही में चर्चा हो रही है कि ग्रीन पटाखों को जलाने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि बताया जाता है कि ये सामान्य पटाखों की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत कम प्रदूषण फैलाते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इसका अर्थ यह है कि पटाखा फोड़ना सुरक्षित या सही है।

लोगों का कहना है कि त्योहार हर साल आता है और हर साल लोग पटाखे जलाते हैं। हालांकि, इससे होने वाला ध्वनि और वायु प्रदूषण, बच्चों और बुज़ुर्गों की सांस लेने की समस्या, और घरों में धूल-मिट्टी की मात्रा बढ़ जाती है। ग्रीन पटाखों के जलाने से कुछ हद तक कम नुकसान हो सकता है, लेकिन पूरी तरह सुरक्षित नहीं कहा जा सकता।

सरकार के अनुसार ग्रीन पटाखों से कुल पॉल्यूशन 20 से 30 प्रतिशत कम हो सकता है, लेकिन इससे प्रदूषण पूरी तरह समाप्त नहीं होता। नागरिकों का सुझाव है कि दिवाली मनाने के लिए दीपक जलाने, मिठाई बाँटने और सामाजिक मेल-जोल को बढ़ावा दिया जाए, और पटाखों का इस्तेमाल सीमित मात्रा में ही किया जाए ताकि किसी को स्वास्थ्य या पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।

एक और समस्या यह है कि आम लोगों को यह पता नहीं होता कि पड़ोस में लोग वास्तव में ग्रीन पटाखे जला रहे हैं या सामान्य पटाखे। ऐसे में पूरी नियंत्रण और निगरानी करना मुश्किल होता है। इसलिए, लोगों और प्रशासन दोनों के लिए यह चुनौती है कि त्योहार की खुशियाँ और परंपरा बनाए रखते हुए पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा भी की जा सके। सुरक्षित और जिम्मेदार उत्सव के लिए ग्रीन पटाखों का सीमित उपयोग और पारंपरिक दीपक उत्सव को प्राथमिकता देना एक व्यवहारिक विकल्प माना जा सकता है।

 

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