नई दिल्ली, 24 अक्तूबर : दिवाली पर आतिशबाजी के चलते इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 300 गुना ज्यादा लोग घायल हुए हैं जिनमें बच्चों और युवाओं की संख्या सर्वाधिक है। यही नहीं धमाकों के कारण हाथ, चेहरा और आंख जलने व फटने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है जिससे हजारों लोग घायल हो गए हैं और सैकड़ों बच्चों एवं युवाओं ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी है।
एम्स दिल्ली के डॉ. राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र की प्रमुख डॉ. राधिका टंडन ने कहा, दिवाली के त्योहार के दौरान हमारे इमरजेंसी सेवा विभाग में ‘कार्बाइड-गन’ स्टाइल के पटाखों से आंखों की गंभीर चोटों के कई मामले सामने आए हैं। इन मरीजों में बच्चे और युवा बड़ी संख्या में शामिल हैं। जो आंखों में गंभीर थर्मोकेमिकल जलन, कॉर्निया का गलना, कई बाहरी चीजों का फंसना, कंजेक्टिवल नेक्रोसिस और आंखों के आसपास जलन की शिकायत लेकर आरपी सेंटर पहुंचे थे। इनमें से कई मरीजों की एमनियोटिक मेम्ब्रेन ग्राफ्टिंग, टेक्टोनिक केराटोप्लास्टी और दूसरी रिकंस्ट्रक्टिव प्रक्रियाएं संपन्न की गईं।
डॉ. टंडन ने कहा, इस सीरीज के कई मामलों में इन ‘कार्बाइड-गन’ या ‘पटाखा गन’ का सोर्स सोशल मीडिया ट्यूटोरियल या दोस्तों के बीच शेयरिंग पाया गया है, जिससे किशोरों और युवाओं के बीच इनकी उपलब्धता और इस्तेमाल बढ़ गया है। ये डिवाइस सोशल मीडिया वीडियो से प्रेरित होकर घर पर बनाए जा रहे हैं जो पब्लिक हेल्थ के लिए खतरा हैं, इसलिए इन पर तुरंत बैन लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा, कार्बाइड गन के प्रयोग के चलते ना सिर्फ दिल्ली बल्कि यूपी, एमपी और बिहार में भी हजारों लोग घायल हो गए हैं। डॉ. राधिका टंडन ने कार्बाइड गन बनाने वाले तमाम वीडियो को भी प्रतिबंधित करने की मांग की।
रेटिना फटने से तत्काल अंधापन!
जब कार्बाइड गन में विस्फोट नहीं होता तो बच्चे अक्सर बैरल में झांकने लगते हैं। क्षण भर की चूक से इतना शक्तिशाली धमाका हो जाता है जिससे आंख का रेटिना फट जाए और तत्काल अंधापन हो जाए। वहीं एसिटिलीन गैस में सांस लेना और भी अधिक खतरनाक होता है जो कैल्शियम कार्बाइड को पानी में मिलाने से उत्पन्न होती है। इसके संभावित प्रभावों में मस्तिष्क में सूजन, हाइपोक्सिया, सिरदर्द, चक्कर आना और स्मृति दोष जैसी दीर्घकालिक समस्याएं उत्पन्न होना शामिल हैं।
क्या है कार्बाइड गन ?
कार्बाइड गन प्लास्टिक या टिन के पाइप और गैस लाइटर के प्रयोग से धमाका करती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड का प्रयोग किया जाता है जो माचिस की तीलियों और बारूद के मिश्रण से बना होता है। ये धमाका तब खतरनाक साबित होता है। जब धमाके से टिन या प्लास्टिक के पाइप फट जाते हैं और उनके टुकड़े छर्रे की तरह शरीर में घुस जाते हैं। विशेष रूप से आंखों एवं चेहरे को गहरी चोट पहुंचाते हैं। इस गन का प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्य रूप से बंदरों और पक्षियों को भगाने के लिए किसान करते हैं।
ऑनलाइन मिल रही कार्बाइड गन
बीते कुछ समय से कार्बाइड गन पारंपरिक पटाखों के विकल्प के रूप में उभरी है जो पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस उत्पन्न करती है और यही गैस शक्तिशाली धमाके को अंजाम देती है। यह गन ‘पीवीसी मंकी रिपेलर गन’ के नाम से ऑनलाइन बिक रही है। विक्रेता इस गन को सुरक्षित साबित करने के लिए इग्निशन मैकेनिज्म और सुरक्षात्मक दस्ताने जैसी अतिरिक्त वस्तुएं भी इसके साथ बेचते हैं लेकिन यह दुर्घटना का सबब बन जाती है।




