Premature Baby Survival: हथेली के आकार लेकर जन्मे नवजात को मिला जीवन का चमत्कार

Premature Baby Survival: हथेली के आकार लेकर जन्मे नवजात को मिला जीवन का चमत्कार
महज 24 सप्ताह की प्रेग्नेंसी में जन्मे एक नवजात ने चिकित्सा विज्ञान की मदद से मौत से जंग जीत ली। फोर्टिस हॉस्पिटल वसंत कुंज में जन्मे इस बच्चे का वज़न सिर्फ 640 ग्राम था और उसका आकार एक सामान्य हथेली जितना था। अत्यधिक जोखिम और जटिलताओं के बावजूद डॉक्टरों की अथक मेहनत और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं ने इस ‘माइक्रो प्रीमी’ शिशु को नया जीवन दिया। आज यह बच्चा छह महीने का है, उसका वजन बढ़कर 6 किलोग्राम हो चुका है और उसकी आंखों की रोशनी, सुनने की क्षमता तथा मस्तिष्क की सभी स्कैन रिपोर्ट्स पूरी तरह सामान्य हैं। जन्म के समय यह शिशु 40 सप्ताह की सामान्य गर्भावस्था से पूरे 16 सप्ताह पहले पैदा हुआ था, जिससे उसके अविकसित अंगों के कारण गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई थीं। जन्म लेते ही शिशु ने रोना शुरू नहीं किया और उसकी हृदय गति बहुत कमजोर थी।
मेडिकल टीम ने तुरंत पुनर्जीवन प्रक्रिया शुरू की और नवजात को चौबीसों घंटे विशेष निगरानी और जीवनरक्षक उपकरणों पर रखा गया। उसकी सबसे बड़ी चुनौती उसके अपूर्ण विकसित फेफड़े थे, जो स्वयं सांस लेने में सक्षम नहीं थे। लंबे समय तक एडवांस वेंटिलेशन सपोर्ट और जीवनरक्षक दवाओं की मदद से उसकी स्थिति को स्थिर किया गया। नवजात के गुर्दे भी पूरी तरह विकसित नहीं थे, ऐसे में संक्रमण से सुरक्षा और तरल प्रबंधन में ज़रा सी भी चूक उसके जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती थी। फोर्टिस वसंत कुंज के पिडियाट्रिक्स एंड नियोनेटोलॉजी विभाग के हेड एवं प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. राहुल नागपाल ने बताया कि 24 सप्ताह में जन्मे बच्चों के जीवित रहने की संभावना केवल 10-15% होती है।
ऐसे में इस बच्चे का बचना चिकित्सा विज्ञान का असाधारण उदाहरण है। इंफेक्शन कंट्रोल, ब्रेन ब्लीडिंग रोकथाम तथा ऑर्गन सपोर्ट की विशेषज्ञ देखरेख ने इसे संभव बनाया। नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ. श्रद्धा जोशी ने बताया कि नवजात को 90 दिन तक एनआईसीयू में रखा गया और जब उसका वजन 1.8 किलोग्राम हुआ, तब उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई। आज यह बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और एक जीवित उदाहरण है कि किस तरह आधुनिक चिकित्सा तकनीक और डॉक्टरों की सतत निगरानी किसी छोटे से जीवन को चमत्कारिक रूप से बचा सकती है।





