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Delhi News : भारत की रणनीतिक संसदीय कूटनीति, संप्रभुता और आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक अभियान : डॉ. अनिल सिंह

हालिया आतंकवादी हमलों और सीमापार तनावों के बीच भारत ने एक असाधारण.

Delhi News : हालिया आतंकवादी हमलों और सीमापार तनावों के बीच भारत ने एक असाधारण वैश्विक कूटनीतिक पहल की शुरुआत की है। इसमें सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के सांसदों को शामिल करते हुए सात संसदीय प्रतिनिधिमंडल विश्व के विभिन्न हिस्सों में भेजे जा रहे हैं। इस ऐतिहासिक मिशन का उद्देश्य भारत के आत्मरक्षा के संप्रभु अधिकार को वैश्विक स्तर पर सशक्त रूप से प्रस्तुत करना, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना और भारत विरोधी दुष्प्रचार का खंडन करना है।

डॉ. अनिल सिंह (लेखक)

एकजुट आवाज़, सात प्रतिनिधिमंडल, एक मिशन

लेखक डॉ. अनिल सिंह कहते है कि लगभग 59 सांसदों एवम कुछ अन्य का यह बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता और राष्ट्रीय एकता का परिचायक है। इनका विभाजन सात समूहों में किया गया है जो अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में भारत की बात रखेंगे।

समूह 1 : जिसका नेतृत्व बैजयंत पांडा (भाजपा) कर रहे है सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया का दौरा करेगा। इसमें निशिकांत दुबे, फांगनोन कोन्याक, रेखा शर्मा, असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), सतनाम सिंह संधू (नामांकित) और गुलाम नबी आज़ाद शामिल हैं।

समूह 2 : रविशंकर प्रसाद (भाजपा) के नेतृत्व में, यूके, फ्रांस, जर्मनी, इटली, डेनमार्क और यूरोपीय संघ जाएगा। इसमें डी. पुरंदेश्वरी (भाजपा), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-उद्धव गुट), अमर सिंह (कांग्रेस) और अन्य सांसद शामिल हैं।

समूह 3 : संजय कुमार झा (जदयू) के नेतृत्व में, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर का दौरा करेगा। इसमें भाजपा, माकपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद जैसे सांसद शामिल हैं।

समूह 4 : डॉ. श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) के नेतृत्व में, यूएई, लाइबेरिया, डीआर कांगो और सिएरा लियोन जाएगा। इसमें बांसुरी स्वराज (भाजपा), ई.टी. मोहम्मद बशीर (आईयूएमएल) और सस्मित पात्र (बीजद) जैसे सांसद हैं।

समूह 5 : शशि थरूर (कांग्रेस) के नेतृत्व में, अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राज़ील और कोलंबिया की यात्रा करेगा। इसमें लोजपा, झामुमो, तेदेपा, भाजपा और शिवसेना के सांसद शामिल हैं।

समूह 6 : कनिमोझी करुणानिधि (द्रमुक) के नेतृत्व में, स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया और रूस का दौरा करेगा। इसमें सपा, नेकां, राजद, आप, और भाजपा के सांसद शामिल हैं।

समूह 7 : सुप्रिया सुले (राष्ट्रवादी कांग्रेस – शरद पवार गुट) के नेतृत्व में, मिस्र, कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करेगा। अनुराग ठाकुर (भाजपा), मनीष तिवारी (कांग्रेस) और लवू देवरेयालु (तेदेपा) इसमें भाग ले रहे हैं।

इस मिशन के निम्नलिखित मुख्य उद्देश्य

1. भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को वैश्विक मंचों पर स्पष्ट और सशक्त रूप से रखना, विशेष रूप से पाकिस्तान और पीओके में भारत द्वारा हाल में किए गए आतंकवाद-निरोधी सैन्य अभियानों के संदर्भ में।

2. पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने की नीतियों को उजागर करना, जैसे कि पहलगाम में हुए हालिया हमले और संघर्षविराम उल्लंघन।

3. वैश्विक लोकतांत्रिक ताकतों से आग्रह करना कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ स्पष्ट और निर्णायक रुख अपनाएं, साथ ही FATF और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने की दिशा में कार्रवाई करें।

बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का महत्व

उन्होंने कहा कि यह प्रतिनिधिमंडल राजनीतिक विविधता के बावजूद राष्ट्रीय एकता और लोकतांत्रिक परिपक्वता का प्रतीक है। विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के नेता एक स्वर में भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की बात रखकर यह संदेश दे रहे हैं कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई राजनीतिक सीमाओं से परे है। आज की दुनिया में जब यूक्रेन संकट और पश्चिम एशिया जैसे मुद्दे अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, भारत के लिए यह आवश्यक हो गया है कि वह दक्षिण एशिया में आतंकवाद की चुनौती को फिर से वैश्विक एजेंडे में लाए। यह पहल न केवल भारत की स्थिति स्पष्ट करती है, बल्कि वैश्विक संवाद में दक्षिण एशिया की प्राथमिकता को पुनर्स्थापित करती है। साथ ही सूचना युद्ध और गलत जानकारियों के इस युग में यह प्रतिनिधिमंडल भारत की आधिकारिक आवाज़ बनकर गलत बयानों और दुष्प्रचार का प्रभावी खंडन करेगा।

संसदीय कूटनीति का प्रभाव

1. भारत की स्थिति को वैधता और लोकतांत्रिक समर्थन के साथ वैश्विक मंचों पर प्रस्तुत करना।

2. प्रभावशाली वैश्विक विचारकों, मीडिया, शिक्षाविदों और सांसदों से जुड़ाव, जिससे दीर्घकालिक रणनीतिक समर्थन प्राप्त हो सकता है।

3. अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने की दिशा में दबाव बनाना, जिसमें FATF और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

वैश्विक प्रतिक्रियाएं और संभावित समर्थन

1. संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे देश भारत के रुख का समर्थन कर सकते हैं, हालांकि उनकी रणनीतिक विवशताएं उनकी प्रतिक्रिया को संतुलित बना सकती हैं।

2. इज़रायल, फ्रांस, और रूस जैसे देश, जो स्वयं आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं, भारत का खुला समर्थन कर सकते हैं।

3. चीन और तुर्की जैसे देश पाकिस्तान के करीबी साझेदार होने के कारण इस मुद्दे पर असहज या अस्पष्ट रह सकते हैं।

4. परंतु संसदीय संवादों के माध्यम से क्रॉस-पार्टी समर्थन प्राप्त कर भारत राजनयिक स्तर से ऊपर जाकर वैश्विक जनमत को प्रभावित कर सकता है।

आगे की राह

भारत को इस पहल को एक स्थायी रणनीति में बदलने के लिए आगे की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।संसदीय कूटनीति का संस्थागतकरण

1. भविष्य में भी अंतरराष्ट्रीय संकटों या रणनीतिक मोड़ों पर ऐसे बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों को नियमित बनाना।

2. संधारित राजनयिक संवाद, वैश्विक सांसदों, मीडिया और थिंक टैंकों से नियमित संवाद।

 3. नई कूटनीतिक साझेदारियों का निर्माण – अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे क्षेत्रों में विस्तार।

4. सांसद सदस्यों के लिए कूटनीतिक प्रशिक्षण, अंतरराष्ट्रीय संवाद, संकट प्रबंधन, और भू-राजनीतिक रणनीति पर विशेष प्रशिक्षण।

5. रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय संचार प्रणाली, गलत सूचना का मुकाबला करने के लिए प्रभावी संचार रणनीतियाँ बनाना।

निष्कर्ष

यह प्रतिनिधिमंडल भारत की नई कूटनीतिक शैली का प्रतीक है, जो लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता और वैश्विक संवाद की त्रयी पर आधारित है। भारत का यह कदम न केवल इसकी वैश्विक साख को सुदृढ़ करता है, बल्कि आतंकवाद के विरुद्ध एक वैश्विक जनमत तैयार करने में सहायक सिद्ध होगा। इस प्रयास की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि भारत कितनी लगातार, सुसंगत और रणनीतिक कूटनीति अपनाता है।

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